नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जनता को स्वास्थ्य सेवा आसानी से उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली सरकार ने साल 2015 में मोहल्ला क्लीनिकों की स्थापना के साथ जो त्रिस्तरीय चिकित्सा सेवा प्रणाली शुरु की थी वह अब चरमराने लगी है। इसके तहत सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए मोहल्ला क्लीनिक, विशेष जरूरतों वाले मरीजों के लिए पॉलीक्लिनिक और मरीजों की देखभाल करने के लिए बड़े अस्पताल चिन्हित किए गए थे।
मगर अब इन ''''आम आदमी पॉलीक्लिनिक'''' में डॉक्टरों की कमी होने लगी है जिसके चलते जनता को रोगों के उपचार नहीं मिल पा रहे हैं। गौरतलब है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के दिल्ली सरकार ने 2015 में दिल्ली में पहला पॉलीक्लिनिक खोला था।
इन क्लीनिकों का उद्देश्य मरीजों को भीड़ भरे अस्पतालों में जाने के झंझट से बचाना और सरकारी अस्पतालों पर आउट पेशेंट का बोझ कम करना था। इसके लिए, मोहल्ला क्लीनिकों के मरीजों को पॉलीक्लिनिकों में भेजा जाता है, जो दिल्ली सरकार के अस्पतालों से जुड़े हैं और इन अस्पतालों के डॉक्टरों को बारी-बारी से ओपीडी संचालित करनी थी।
गौरतलब है कि बीते साल के मार्च में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली में लगभग 25 पॉलीक्लिनिक हैं। सरकार की योजना के अनुसार, पॉलीक्लिनिक विशेषज्ञ ओपीडी हैं जहां दवा, स्त्री रोग और बाल रोग विशेषज्ञ हर दिन उपलब्ध होते हैं और आर्थोपेडिक्स, आंख, ईएनटी, सर्जरी और त्वचा विशेषज्ञ सप्ताह में एक बार उपलब्ध होते हैं। 2016 में, 22 डिस्पेंसरियों को पॉलीक्लिनिक में बदल दिया गया और उन्हें राज्य सरकार के अस्पतालों की देखरेख में चलाने का नियम बनाया गया।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बल्लीमारान में चिकित्सा अधिकारियों के तीन पद खाली हैं जबकि मदनपुर खादर में पांच पद खाली हैं। ये पॉलिक्लिनिक लोक नायक अस्पताल से संबद्ध हैं। मदनपुर खादर पॉलीक्लिनिक में, एक अकेला चिकित्सा अधिकारी एक महीने में लगभग 500 रोगियों को देखता है। टीबी मरीजों के लिए बने डॉट सेंटर समेत अन्य चिकित्सा अधिकारियों के कमरे बंद हैं।
स्टाफ का एक सदस्य मरीजों के लिए रसीद बनाता है जबकि दो अन्य दवाइयां बांटते हैं। ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड की सुविधाएं इन क्लिनिक में उपलब्ध नहीं हैं। स्टाफ के एक सदस्य के अनुसार, रक्त परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या एक्स-रे की आवश्यकता वाले सभी लोगों को लाजपत नगर कॉलोनी अस्पताल, कालकाजी में पीएसएमएस अस्पताल या बदरपुर में पॉलीक्लिनिक जाना पड़ता है, जहां मेडिकल जांच सेवा उपलब्ध हैं।
क्लीनिक के एक कर्मचारी ने बताया कि प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी साधारण वस्तुएं भी ज्यादातर क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं हैं। फ्रैक्चर के मामले में, हम सीधे लोक नायक के ऑर्थो ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को भेजते हैं। वहीं, मदनपुर खादर में दवा की भी किल्लत बनी हुई है जो मरीजों को निजी दवा दुकानों की ओर रुख करने को मजबूर कर रही है।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी का कहना है, जो लोग इन क्लीनिकों का दौरा कर रहे हैं, वे ज्यादातर आसपास के क्षेत्रों के नहीं हैं। उन्होंने कहा, स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों और पॉलीक्लिनिक्स में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी का सामना कर रहा है। भर्ती एलजी और केंद्र सरकार के डोमेन के तहत है। कई संवादों के बावजूद, लगातार एल-जीएस विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। वहीं, दिल्ली सरकार के दावों का जवाब देते हुए एलजी सचिवालय ने कहा, इस संबंध में आज तक कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
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