Monday, Mar 20, 2023
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monsoon session demands to abolish changes in labor laws raised in rajya sabha rkdsnt

मानसून सत्र : राज्यसभा में उठी श्रम कानूनों में किए गए बदलाव खत्म करने की मांग

  • Updated on 9/14/2020

 

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राज्यसभा में कांग्रेस (Congress) के एक सदस्य ने श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को समाप्त करने की मांग उठाते हुए सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पन्न हालात के कारण रोजगार गंवा चुके मजदूरों की मदद के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी है। कांग्रेस के पी एल पुनिया ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संकट में मजदूरों को अपने रोजगार खत्म हो जाने की वजह से घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है। 

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उन्होंने कहा ‘‘हमने बेरोजगार हो चुके मजदूरों को मीलों की दूरी पैदल तय कर अपने घरों की ओर जाते हुए देखा है। ’’ पुनिया ने कहा कि ऐसे विषम हालात में इन बेहाल मजदूरों की मदद करने के बजाय कुछ राज्य सरकारों ने उद्योगपतियों के हितों में श्रम कानूनों में बदलाव कर दिया। इन बदलावों के तहत मजदूरों के काम करने के घंटे बढ़ा दिए गए और ओवरटाइम की अवधि भी अधिक कर दी गई है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश इसका उदाहरण हैं। 

पुनिया ने श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को समाप्त करने ओर पुराने श्रम कानूनों को बहाल करने की मांग करते हुए सरकार से कहा कि मजदूरों के हित में यह कदम उठाना बेहद जरूरी है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। शून्यकाल में ही भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने बढ़ती आबादी और उसकी वजह से घटते संसाधनों का मुद्दा उठाया।  

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उन्होंने कहा कि देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है। बढ़ती आबादी ने न केवल बेरोजगारी, खाद्य संकट, पर्यावरण, जलसंकट, संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं खड़ी की हैं बल्कि सामाजिक तानेबाने को भी गहरे तक प्रभावित किया है। उन्होंने सरकार से ऐसे उपाय करने की मांग की जिनसे न केवल आबादी नियंत्रित की जा सके बल्कि संसाधनों का अधिकतक पयोग सुनिश्चित किया जा सके।कांग्रेस की फूलोंदेवी नेताम ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। 

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उन्होंने कहा ‘‘ छत्तीसगढ़ी भाषा का इतिहास बेहद समृद्ध है। रामचरित मानस में भी छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्द मिलते हैं। इस भाषा का साहित्य भी अतुलनीय है।’’ द्रमुक के पी विल्सन ने एनईईटी परीक्षाओं का, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सुभाष चंद्र बोस पिल्ली ने पिछड़े वर्ग का और तेदेपा सदस्य के रवींद्र कुमार ने आंध्रप्रदेश से जुड़ा मुद्दा उठाया। रवींद्र कुमार ने अपनी बात तेलुगु में रखी। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इन मुद्दों से स्वयं को संबद्ध किया। 

 

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