नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। क्रैडिट रेटिंग एजैंसी मूडीज (Moody's) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की गति बेहद सुस्त रहने की आशंका जताते हुए आज जी.डी.पी. विकास दर अनुमान में कटौती की है। एजैंसी ने चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिए जी.डी.पी. विकास दर अनुमान को 6.6 से घटाकर 5.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष (2020-21) के विकास दर अनुमान को 6.7 से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया है।
एजैंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जैसे ही अर्थव्यवस्था में स्थिरता आनी दिखी, इस पर कोरोना वायरस (Corona Virus) के बादल मंडराने लगे हैं। मूडीज ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की रफ्तार बेहद सुस्त रह सकती है। मूडीज ने कहा कि पिछले 2 साल में देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहद सुस्त हो गई है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वास्तविक जी.डी.पी. विकास दर महज 4.5 प्रतिशत रही है।
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वित्तीय आंकड़ों में दिखा सुधार रेटिंग एजैंसी ने कहा कि हाल ही में आए वित्तीय आंकड़ों में सुधार दिखा, जो यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था (Economy) आगे चलकर पटरी पर लौट सकती है। एजैंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार दिखना शुरू हो सकता है, लेकिन इसकी रफ्तार पहले के अनुमान की तुलना में कम होगी। चीन में जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप पर मूडीज ने कहा कि इसका चीन तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर के बारे में भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी होगी।
कोरोना वायरस का कहर जारी, मौत का आंकड़ा पहुंचा 1,800 पार इस साल वैश्विक वृद्धि में स्थिरता आने की उम्मीद धूमिल खुदरा मुद्रास्फीति में मौजूदा तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में उछाल है। वैश्विक वृद्धि के बारे में साख निर्धारित करने वाली एजैंसी ने कहा कि मूडीज कोरोना विषाणु के फैलने से इस साल वैश्विक वृद्धि में स्थिरता आने की उम्मीद धूमिल हुई है। वैश्विक वृद्धि के अनुमान को कम किया गया है और मूडीज ने जी-20 देशों की आॢथक वृद्धि 2020 में 2.4 प्रतिशत और 2021 में 2.8 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। वहीं चीन की आॢथक वृद्धि दर 2020 में 5.2 प्रतिशत और 2021 में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
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रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत दर में नरम रुख की उम्मीद राजकोषीय मोर्चे पर उठाए गए कदम के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में नरमी से निपटने के लिए केंद्रीय बजट में ठोस प्रोत्साहन उपाए नहीं किए गए हैं। अन्य देशों के समान प्रकार के नीतिगत उपायों के अनुभवों से यही पता लगा है कि जब लोग जोखिम से बचने के मूड में हो जाते हैं तो करों में कटौती से उपभोग और निवेश व्यय में वृद्धि होने की संभावना कम ही रहती है। मूडीज ने कहा कि उसे रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से नीतिगत दर में नरम रुख की उम्मीद है। हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगर ऊंची बनी रहती है तो केंद्रीय बैंक के लिए नीतिगत दर में कटौती चुनौतीपूर्ण होगी।
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