Wednesday, May 31, 2023
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Morbi bridge collapse: Oreva group offers compensation in Gujarat High Court

मोरबी पुल हादसा: गुजरात हाई कोर्ट में ओरेवा समूह ने मुआवजे की पेशकश की

  • Updated on 1/25/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। गुजरात उच्च न्यायालय मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को मुआवजा देने के ओरेवा समूह की पेशकश पर बुधवार को सहमत हो गया, लेकिन कहा कि यह उसे किसी दायित्व से मुक्त नहीं करेगी। पिछले साल 30 अक्टूबर को हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गये थे। मच्छु नदी पर स्थित एवं ब्रिटिश शासन काल के दौरान बने इस केबल पुल के संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा समूह (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) को दी गई थी। हादसे की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल ने फर्म की ओर से कई चूक होने का जिक्र किया है। 

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कंपनी के वकील निरूपम नानावती ने मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ से कहा कि उसने (कंपनी ने) पुल का रखरखाव अपनी परोपकारी गतिविधियों के तहत किया, ना कि वाणिज्यिक उद्यम के तौर पर। खंडपीठ हादसे पर स्वत: संज्ञान वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। मामले में पक्षकार बनाई गई कंपनी ने 135 मृतकों,56 घायलों के परिजनों और अनाथ हुए सात बच्चों को मुआवजा देने की पेशकश की है। इस पर, अदालत ने उसे एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इस तरह का कार्य ‘‘उसे किसी दायित्व से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुक्त नहीं करेगा।'' अदालत ने कहा कि कंपनी ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि इस तरह के मुआवजे की अदायगी किसी अन्य पक्ष के अधिकारों को कहीं से भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। 

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अदालत ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि यहां तक कि सातवें प्रतिवादी (ओरेवा) द्वारा पीड़ितों या उनके रिश्तेदारों को मुआवजे की अदायगी उसे (कंपनी को) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी दायित्व से मुक्त नहीं करनी चाहिए।'' अदालत ने कहा, ‘‘यह भी स्पष्ट किया जाता है कि (ओरेवा के खिलाफ) सरकार के प्राधिकारों या पुलिस द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को इस मुआवजे की अदायगी को ध्यान में रखे बगैर उसके तार्किक परिणाम तक ले जाना होगा। '' 

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उच्च न्यायालय ने ओरेवा को मुआवजे की रकम सरकार के पास जमा करने को कहा ताकि वह विषय में आगे कदम उठा सके। उच्च न्यायालय ने बुधवार को मोरबी नगरपालिका को भी फटकार लगाई और कहा कि वह अपने हलफनामे में यह खुलासा करने में नाकाम रही कि कैसे सातवां प्रतिवादी (ओरेवा समूह) को 29 दिसंबर 2021 से लेकर सात मार्च 2022 को इसके बंद होने तक उपयोग करने की अनुमति दी गई। अदालत ने कहा कि दलीलों से यह प्रदर्शित हुआ है कि ओरेवा ‘‘मंजूरी नहीं होने के बावजूद पुल का उपयोग कर रहा था।'' अदालत ने एक मौखिक टिप्पणी में कहा कि यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नगर निकाय और ओरेवा के बीच सांठगांठ थी। उच्च न्यायालय ने व्यापक रूप से मरम्मत की जरूरत वाले 23 पुलों पर युद्ध स्तर पर काम करने का राज्य सरकार को निर्देश भी दिया।

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