नई दिल्ली/ कामिनी बिष्ट। करीब 300 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद भारत को आजादी मिलने वाली थी। सैकड़ों रियासतों में बंटा भारतीय उपमहाद्वीप... न जाने कितनी जाने गईं, कितनी क्रांतियों के बाद भारत को आजादी का दिन देखना तो नसीब हुआ लेकिन अपना एक अंग गंवाने की शर्त पर। भारत के दो टुकड़ों पर मुहर लगाने वाली माउंटबेटन योजना हर साल 14 अगस्त को याद आती है। इस दिन भारत-माता के शरीर से उसका एक अंग काट लिया गया और धार्मिक आधार पर बना एक अलग मुल्क पाकिस्तान।
3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जिसमें भारत की राजनीतिक सम्सया को हल करने के नाम पर अंतिम निष्कर्ष उसका विभाजन निकाला गया। इस योजना में जो प्रावधान थे वो निम्म प्रकार से हैं-
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के उद्देश्य से लाई गई योजना के आगे घुटने टेक दिए गए। मिलकर स्वतंत्र भारत का सपना देखने वाले भगत सिंह और अश्फाकउल्ला खान की कुर्बानी के टुकड़े कर दिए गए। हिंदू-मुस्लिम दोनो के एकजुट प्रयासों से बने भारतीय उपमहद्वीप को भारत और पाकिस्तना में बांट दिया गया।
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