नई दिल्ली/टीम डिजिटल। रमजान के महीने में एक 30 दिन तक रोजे रखे जाते हैं, ये बात तो सभी लोग जानते हैं। लेकिन इसी एक महीने में महिलाएं कुछ दिन रोजा नहीं रख सकती हैं, ऐसा महावारी के दौरान होता है। महावारी के दौरान महिलाएं रोजा नहीं रख सकती। लेकिन इस बीच अगर वह खुल कर खाती-पीती हैं तो शर्मिंदिगी का शिकार होना पड़ता है।
रोजा न रखने पर लोगों के कई तरह के सवाल होते हैं। सवाल करने वाले लोगों में रिशतेदार, दोस्त और ऑफिस में साथ काम करने वाले लोग शामिल हैं। महिला साथियों को इस वजह को बताया जा सकता है लेकिन पुरुषों के साथ इस बात को शेयर नहीं किया जा सकता है। सभी जानते हैं कि महावारी जैसे मुद्दे पर खुल कर बात करना इस समाज में एक टैबू है। इस मामले पर कई महिलाओं ने अपना अनुभव शेयर किया है। कुछ का कहना है कि वह छुपकर खाती हैं जिससे पुरुषों को पता न चले। तो कुछ का कहना है कि उन्हें झूठ का सहारा लेना पड़ता है।
बता दें कि रमजान के पूरे महीने में हर रोज सुबह सूरज निकलने से पहले उठकर कुछ खाया-पिया जाता है, जिसे सहरी कहते हैं। इसके बाद पूरे दिन कुछ खाया या पिया नहीं जाता और इबादत की जाती है। इस दौरान नमाजें और कुरान पढ़ा जाता है। फिर शाम को सूरज निकलने के बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। लेकिन महावारी के दौरान महिलाएं रोजा नहीं रखती और न ही नमाज या कुरान पढ़ सकती हैं।
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