नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की एक विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस अर्जी पर सुनवायी सोमवार को टाल दी जिसमें मुजफ्फरनगर में 2013 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान लोकसेवकों को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के कथित प्रयासों के लिए भाजपा के कुछ नेताओं के खिलाफ कुछ मामलों को वापस लेने का अनुरोध किया गया था।
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विशेष न्यायाधीश राम सिंध सिंह ने सरकार की याचिका पर दलीलें सुनने के लिए 29 जनवरी तिथि तय की। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि जिन नेताओं के खिलाफ मामले वापस लेने का अनुरोध किया गया है उनमें केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा और भाजपा के तीन विधायक शामिल हैं।
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इन नेताओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 354 के तहत आरोप हैं। इन नेताओं के खिलाफ ये मामले निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए नगला मदोर गांव में एक पंचायत में कथित तौर पर हिस्सा लेने और 30 अगस्त, 2013 को कथित भाषणों के जरिये हिंसा भड़काने के लिए दर्ज किये गए थे। अदालत द्वारा इन मामलों में आरोपी नेताओं के खिलाफ आरोप तय करना अभी बाकी है।
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