नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन (NBA) ने उच्चतम न्यायालय को सुझाव दिया कि उसकी ‘‘आचार संहिता’’ को केंद्र सरकार द्वारा केबल टीवी पर वैधानिक नियम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो कि वे इसके सदस्य और गैर सदस्य समाचार चैनलों के लिये समान रूप से बाध्यकारी होंगे।
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समाचार चैनलों के टीवी कार्यक्रमों की 'आहत करने वाली’’ और 'सांप्रदायिक’’ सामग्री के नियमन में एनबीए की कथित अपर्याप्त क्षमता को संज्ञान में लेते हुए शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को उससे और केंद्र से सुझाव मांगे थे, जिससे असोसिएशन की स्व-नियामक शक्तियों को और सुदृढ़ बनाया जा सके। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक वकील के मामले की सुनवाई कर रही है, जिसने सुदर्शन टीवी के ‘यूपीएससी जिहाद’ नामक कार्यक्रम के प्रसारण से पूर्व प्रतिबंध की मांग की थी। पीठ सोमवार को फिर मामले की सुनवाई करेगी।
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अदालत ने फिलहाल उन कड़ियों के प्रसारण पर रोक लगा रखी है जो कथित तौर पर नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ से संबंधित हैं। एनबीए की महासचिव एनी जोसफ ने अदालत के निर्देश पर हलफनामा दायर किया है। एनबीए ने कहा कि उसकी आचार संहिता को केबल टीवी नियमों के तहत कार्यक्रम संहिता का हिस्सा बनाकर वैधानिक मान्यता दी जानी चाहिए, जिससे ये संहिता सभी समाचार चैनलों के लिये बाध्यकारी बने। इस कदम से नियामक निकाय को आधिकारिक मान्यता और शक्तियां मिलेंगी।
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जोसफ ने अपने हलफनामे में कहा, 'यह अदालत ‘स्वतंत्र आत्मनियामक तंत्र’ एनबीएसए (न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड असोसिएशन) को मान्यता प्रदान कर सकती है, जिससे सभी समाचार प्रसारकों के खिलाफ शिकायतों, भले ही वे एनबीए के सदस्य हों या नहीं, को एनबीएसए द्वारा देखा जा सके और उसके द्वारा पारित आदेश सभी समाचार प्रसारकों के लिये बाध्यकारी और लागू करने योग्य होंगे।'
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हलफनामे में कहा गया, 'एनबीएसए को मान्यता से समाचार प्रसारण मानक नियमन भी मजबूत होगा और इसमें लगाए जाने वाले जुर्माने को और सख्त किया जा सकता है।' एनबीएसए की अध्यक्षता फिलहाल उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के सीकरी कर रहे हैं।
‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम पर लगी रोक को हटाने का किया अनुरोध सुदर्शन टीवी ने रविवार को उच्चतम न्यायालय से विवादास्पद कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ की बाकी कडिय़ों के प्रसारण पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध करते हुए कहा कि चैनल इसके प्रसारण के समय सभी कानूनों का पालन करेगा। उच्चतम न्यायालय ने 15 सितंबर को चैनल को कार्यक्रम की बाकी कडिय़ों के प्रसारण को अगले आदेश तक रोक दिया था। इस कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि ‘सरकारी सेवाओं में मुस्लिमों की घुसपैठ के षड्यंत्र का पर्दाफाश’ किया जाएगा ।
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