Monday, Dec 11, 2023
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nda mp appeal to pm narendra modi regarding obc reservation in medical education rkdsnt

OBC आरक्षण को लेकर सरकार के सांसदों ने ही पीएम मोदी से लगाई गुहार

  • Updated on 7/28/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सांसदों के एक प्रतिनिधमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटे में ओबीसी और आॢथक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के भूपेंद्र यादव, गणेश सिंह, सुरेद्र सिंह नागर और अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल शामिल थे। 

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प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को एक पत्र सौंपा और अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट चिकित्सा पाठ्यक्रमों में‘ऑल इंडिया कोटा’में ओबीसी और आॢथक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की। पत्र में लिखा गया, ‘‘हम...अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट चिकित्सा पाठ्यक्रमों में‘ऑल इंडिया कोटा’में ओबीसी और आॢथक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का आपसे आग्रह करते हैं।’’     प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को इस मामले की समीक्षा की थी और संबंधित मंत्रालयों को इसे प्राथमिकता के आधार पर हल करने का निर्देश दिया।

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 चिकित्सा अभ्र्यिथयों की ओर से चिकित्सा शिक्षा के अखिल भारतीय कोटे में ओबीसी आरक्षण देने की लंबे समय से मांग की जा रही है। देश की विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे भी हुए हैं लेकिन यह मामला लंबे समय से लंबित है। देश में राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) के जरिए चिकित्सा शिक्षा में दाखिले होते हैं। 

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इस परीक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को आरक्षण तो मिलता है लेकिन इस परीक्षा में ओबीसी आरक्षण न दिए जाने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। प्रतिनिधमंडल ने कहा, ‘‘हालांकि, ओबीसी समुदाय के छात्रों को अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटा में आरक्षण नहीं मिल रहा है।’’ 

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बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह 2021-22 में चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गई सीटों पर अखिल भारतीय आरक्षण (एआईक्यू) के तहत ओबीसी आरक्षण के कार्यान्वयन पर अपना रुख स्पष्ट करे। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने इस आशय का निर्देश तब दिया जब द्रमुक की अवमानना याचिका सुनवाई के लिए आई। 

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