नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने मंगलवार को भारत के साथ नेपाल के रिस्तों को बहुत अच्छा बताया, तो वहीं विस्तारवादी नीति के तहत पड़ोसियों को कर्ज के जाल में फंसाने वाले चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि नेपाल किसी और के आदेशों का पालन नहीं करता। पीएम ओली ने कहा कि हम अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं। हम अपनी आजादी को दाव पर लगाकर दूसरों के निर्देशों का हरगिज पालन नहीं करते। हम अपने देश के मामलों में स्वतंत्र रूप से फैसले लेते हैं इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं।
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देश संप्रभुता की बराबरी से समझौता नहीं करेगा बता दें कि नेपाल के विदेश मंत्री के नई दिल्ली के दौरे से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि भारत या चीन के साथ संबंधों में उनका देश संप्रभुता की बराबरी से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्री के दौरे में सीमा गतिरोध पर वार्ता केंद्रीत रहने की उम्मीद है। डब्ल्यूआईएन चैनल ने ओली के हवाले से बताया, लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के इलाके नेपाल का ही हिस्सा हैं।'
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चीन या भारत के क्षेत्र पर दावे करने की स्थिति में नहीं ओली ने कहा, हम चीन या भारत के क्षेत्र पर दावे करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम अपने क्षेत्रों पर दावा जरूर करेंगे। पिथले वर्ष ओली सरकार ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया था जिसके बाद सीमा गतिरोध जारी हो गया था। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली के 14 जनवरी को नई दिल्ली के दौरे से दो दिनों पहले उनका यह बयान आया है। द्विक्षीय संबंधों में तनाव आने के बाद वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं जो भारत दौरे पर आ रहे हैं।
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नेपाल की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं बता दें की नेपाल की राजनीति में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश की थी। मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई है। ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। यह खबर हिमालयन टाइम्स अखबार ने प्रकाशित की गई थी। लद्दाख में Indian Army ने पकड़ा चीनी सैनिक तो तिलमिलाया ड्रैगन, की ये मांग
संसद भंग करने तक की सिफारिश ‘काठमांडू पोस्ट’ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से कहा कि मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है। खबरों में कहा गया है कि इस अनुशंसा को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास भेजा जाएगा। ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है।
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