नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नया संसद भवन लगभग बनकर तैयार है। जल्द ही यहां लोगों को आधुनिक भारत की झलक के साथ- साथ भारतीय कला व संस्कृति की पांच हजार साल पुरानी परंपरा को भी अनूठे तरीके से देखा जा सके। नए संसद भवन में इन दिनों निर्माण और फिनिशिंग के साथ- साथ भारतीय सनातन परंपरा व संस्कृति से जुड़ी एवं वास्तु कला का अनूठा संगम पर आधारित मूर्तियां व पेंटिंग्स आदि लगाने का काम अंतिम चरण में है।
बताया जाता है कि वास्तु कला को नए संसद भवन की इमारत में खासतौर पर 65 हजार मीटर के स्थान पर दर्शाया जाएगा। नए संसद भवन की बिल्डिंग को सेंट्रल विस्टा परियोजना में तैयार किया जा रहा है। करीब 12 हजार करोड़ रुपये अनुमानित खर्च से इसे तैयार किया जा रहा है।
मजेदार बात यह है कि त्रिकोणीय आकार में तैयार होने वाली इस नई संसद भवन की बिल्डिंग के हरेक प्रवेश द्वार(सभी छह गेट) से लेकर दीवारों तक पर पेंटिंग्स, आर्ट, पत्थर की मूर्तियों और अन्य कला का नमूना अलग ही आकर्षण का केंद्र हरेगा। सभी प्रवेश द्वार पर सनातन संस्कृति एवं भारतीय सभ्यता में शुभ माने जाने वाले पशुओं की मूर्तियां होंगी।
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामला मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार नई संसद भवन की बिल्डिंग में भारतीय प्राचीन कला, सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने की कोशिश भी की गई है। इसमें प्राचीन भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत इतिहास की झलक भी वास्तु व कलाकृतियों में देखने को मिलेगी।
सूत्रों का कहना है कि नए संसद भवन की बिल्डिंग में भारतीय कला, संस्कृति व प्राचीन सभ्यता के तहत पिछले 5000 वर्षों की कला को दर्शाया जाएगा। इसके लिए सनातन परंपरा और वास्तु कला पर आधारित लगभग 5,000 आर्ट वर्क को इसके लिए तैयार किया गया है।
बताया जाता है कि इसमें दीवार पैनल, पत्थर की मूर्तियों और धातु की वस्तुओं के अलावा विशेष कला को दर्शाया जाएगा। स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में शामिल व्यक्तित्वों को समर्पित छह ग्रेनाइट प्रतिमाएं भी रखने का विचार है। इसके अलावा दोनों सदनों के लिए प्रत्येक में चार दीर्घाएं, तीन औपचारिक उपकक्ष और एक संविधान गैलरी होगी।
नई संसद भवन की बिल्डिंग के लिए सभी आर्ट वर्क को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इस काम को पूरा करने में तकरीबन एक हजार से अधिक कारीगर और कलाकारों को शामिल किया गया है। बताया जाता है कि इस काम को पूरा करने के लिए देश भर के चुनिंदा और जमीनी कलाकारों को शामिल किया गया है। ताकि संसद पूरी तरह से स्वदेशी और भारतीय प्रतीक के रूप में उभरकर सामने आए।
थीम पर आधारित होगा कला का नमूना
संसद भवन की बिल्डिंग के बाहर ही नहीं बल्कि भीतर की दीवारों पर भी कला का अद्भुत नमूना देखने को मिल सकता है। प्रत्येक दीवार पर थीम पर आधारित पहलू को दर्शाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही भारतीय ज्ञान परंपराओं, भक्ति परंपरा, भारतीय वैज्ञानिक परंपराओं और स्मारकों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाएगा। वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए और बिल्डिंग की थीम के हिसाब से इन्हें तैयार किया जा रहा है।
संस्कृति, जीत, ज्ञान की झलक पर आधारित होगी जानवरों की मूर्तियां
नए संसद भवन की बिल्डिंग के प्रवेश द्वार पर लगाई जाने वाली मूर्तियों में भारतीय संस्कृति, ज्ञान, जीत, वास्तु शास्त्र और सफलता की झलक को दर्शाया जाएगा। यहां तक कि इन्हीं गुणों पर आधारित जानवरों की मूर्तियों को भी यहां स्थान दिया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से सनातन परंपरा में शुभ माने जाने वाले जानवरों की मूर्तियां लगाई जाएंगी।
बताया जाता है कि इसमें उत्तर के प्रवेश द्वार पर हाथी की मूर्ति लगेगी, जिसे ज्ञान, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतीक माना जाता है। उत्तर-पूर्वी गेट पर हंस को स्थान दिया जाएगा, जिसे विवेक और ज्ञान का प्रतिनिधि माना जाता है। इसी प्रकार संसद परिसर के अन्य गेट पर मूषक, मोर को स्थान दिया जा सकता है। एक गेट पर गरुड़ को स्थान दिया जाएगा, जिसे लोगों की आकांक्षाओं के तौर पर देखा जाता है।
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