नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने उस भूखंड के इस्तेमाल में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 16 नवंबर तक के लिए शुक्रवार को स्थगित कर दी, जिस पर लुटियंस दिल्ली में महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नए आधिकारिक आवास निर्धारित किए गए हैं। जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ को बताया गया कि केंद्र ने इस याचिका पर जवाब देते हुए हलफनामा दाखिल किया है, जिसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
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पीठ ने कहा, ‘‘हमें सूचित किया गया है कि एक जवाबी हलफनामा ऑनलाइन दाखिल किया गया है। उत्तर की एक प्रति फाइल में रखी जाएगी। याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए उसके अनुरोध के अनुसार समय दिया जाता है। मामले को 16 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।’’ सितंबर 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक किया जाना है, जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।
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राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर की दूरी को कवर करने वाली परियोजना के तहत 2024 तक साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। उच्चतम न्यायालय भूखंड संख्या एक के भूमि उपयोग को मनोरंजन क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इससे पहले पीठ ने केंद्र को इस मामले पर एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा था कि जहां तक मनोरंजन क्षेत्र को आवासीय में बदलने का संबंध है, अधिकारियों ने कोई जनहित नहीं दिखाया है।
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केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि भूखंड पर उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए सरकारी आवास निर्धारित हैं। मेहता ने कहा कि मनोरंजक क्षेत्र को स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने वहां संसद बनने के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताओं का जिक्र भी किया। न्यायालय ने इस साल जनवरी में एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाया था कि ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और नए संसद भवन के निर्माण के लिए भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना वैध है। इसके बाद न्यायालय ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर ‘सेंट्रल विस्टा’ के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका इस साल जून में खारिज कर दी थी।
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