Saturday, Sep 30, 2023
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एनजीओ विदेशी दानदाताओं के हितों की पूर्ति करने में सक्रिय : डॉ. जोशी

  • Updated on 2/5/2022

नई दिल्ली। टीम डिजिटल। भारत के अनेक बड़े-बड़े एनजीओ जाने-अनजाने में अपने विदेशी दानदाताओं के हितों की पूर्ति करने में सक्रिय रहते हैं। उन पर जब भी निगरानी रखने और फंडिंग का हिसाब मांगने की बात होती है तब इन्हीं संगठनों के लोग विदेशों में जाकर सरकार की आलोचना करने लगते हैं। उक्त बातें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. सुधांशु जोशी ने विदेशी धन, सामाजिक कल्याण और स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका पर ऑनलाइन परिचर्चा के दौरान कहीं। इस परिचर्चा अर्थशास्त्री व स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक प्रो. अश्विनी महाजन व इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन के निदेशक डॉ. कुलदीप रतनू ने भी अपने विचार रखे।
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विदेशी फंड की जानकारी नहीं देते पर एनजीओ को नही मिलना चाहिए एफसीआरए लाइसेंस : प्रो. महाजन
इस विषय पर प्रो. अश्विनी महाजन ने कहा कि जब देश में अटल जी की सरकार थी तो तय किया गया कि हम सिर्फ 8-10 समृद्ध देशों से विदेशी सहायता जारी रखेंगे। अब मोदी सरकार ने यह तय किया है कि जो गैर सरकारी संगठन जो विदेशी फंड से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं देते हैं उन्हें एफसीआरए का लाइसेंस नहीं मिलना चाहिए। इससे हम विदेशी साजिश का शिकार नहीं होंगे और यह जरूरी है। वहीं कार्यक्रम का संचालन इंडिया पॉलिसी फाउडेंशन के निदेशक डॉ. कुलदीप रत्नू ने करते हुए कहा कि सामाजिक संगठनों को अपने काम में अधिक पारदर्शिता और प्रशासनिक कुशलता लानी चाहिए ताकि सार्वजनिक लाभ के लिए लिया जाने वाला फंड एनजीओ चलाने वाले व्यक्ति या परिवार के व्यक्तिगत लाभ में ही उपयोग ना हो।

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