नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। शीर्ष भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने रविवार को यहां 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम को हराकर अपना दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता। निकहत ने यहां केडी जाधव इंडोर हॉल में ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया। इस जीत से निकहत महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (छह बार की विश्व चैम्पियन) के बाद दो बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गयीं। निकहत ने पिछले सा 52 किग्रा वजन वर्ग में खिताब जीता था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनी,विशेषकर ओलंपिक वजन वर्ग में। '' दोनों एशिर्या मुक्केबाजों के बीच दिन का शुरूआती मुकाबला रोमांचक रहा।
निकहत ने कहा, ‘‘आज का मुकाबला मेरे लिये कठिन था, वह एशियाई चैम्पियन है और मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल हैं और मैं उससे भिड़ सकती हूं इसलिये मैं कड़ी मेहनत करूंगी। '' उन्होंने कहा, ‘‘मुकाबले में उसे और मुझे चेतावनी और ‘काउंट' मिली। लेकिन मैं विजेता बनी। '' निकहत अपने 52 किग्रा वजन वर्ग से कम वजन वर्ग में खेलीं, वह पहले थोड़ी सुस्त दिखी क्योंकि ताम ने पहले आक्रमण किया। लेकिन कुछ सेंकेंड बाद घरेलू प्रबल दावेदार ने हमले तेज कर दिये जिसके बाद उन्होंने दायीं ओर दो ‘हुक' और फिर सीधे मुक्का जड़ा। ताम को जकड़ने के लिए एक पेनल्टी अंक दिया गया जिससे पहला राउंड निकहत के पक्ष में हो गया। ताम ने दूसरे राउंड में मजबूत वापसी की और वह तेज मुक्के जड़ने लगी जिससे निकहत नीचे सिर करके खेलने को मजबूर हो गयी जिससे उन्हें एक पेनल्टी अंक मिला। वियतनाम की मुक्केबाज ने दूसरा राउंड 3-2 से अपने नाम किया।
अंतिम तीन मिनट में दोनों मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश में आक्रमण किया। निकहत के ताकतवर दायें हाथ के मुक्के से ताम गिर गयी जिससे ताम को ‘काउंट' का सामना करना पड़ा और फिर ताम के मुक्के से भारतीय मुक्केबाज को ‘काउंट' मिला। निकहत ने कहा, ‘‘मेरे लिये इस वजन वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों के बाद यह बड़ा टूर्नामेंट है। राष्ट्रमंडल खेलों में इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं होती। '' शनिवार को नीतू गंघास (48 किग्रा) और स्वीटी बूरा (81 किग्रा) विश्व चैम्पियन बनी थीं। मेजबान भारत स्वर्ण पदकों के मामले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी करने की ओर बढ़ रहा है। ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन देर शाम में फाइनल के लिए रिंग में उतरेंगी। भारत ने 2006 में अपनी मेजबानी में चार स्वर्ण पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जिसमें देश के नाम आठ पदक रहे थे।
निकहत जरीन का सफर रहा उतार चढ़ाव से भरा एमसी मैरीकॉम ने एक बार गुस्से से पूछा था, ‘‘निकहत जरीन कौन है? '' निकहत ने 2022 में विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इस सवाल का जवाब दिया था। और अब रविवार को एक बार फिर उन्होंने अपना दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीत लिया, वो भी घरेलू दर्शकों के सामने जिससे वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं। इसके साथ ही वह छह बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम के उत्तराधिकारी के तौर पर आगे बढ़ती दिख रही हैं। निकहत ने 50 किग्रा वजन वर्ग का खिताब जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनकर खुश हूं वो भी ओलंपिक वजन वर्ग और घरेलू दर्शकों के सामने। यह पदक सभी समर्थकों के लिए है। '' निकहत के लिये यह दूसरा खिताब भावनात्मक रहा क्योंकि इस सफर में इस 26 साल की मुक्केबाज को ताने, सामाजिक पूर्वाग्रह और उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
जहां तक मैरीकॉम का संबंध है तो उन्हें नहीं लगा होगा कि चार साल में निकहत उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए उनके बाद एक से ज्यादा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन जायेंगी। निकहत के पिता उन्हें धावक बनाना चाहते थे लेकिन उनकी बेटी ने मुक्केबाजी में आने फैसला किया ताकि वह साबित कर सकें कि महिलायें भी इस खेल में अच्छा कर सकती हैं। तेलंगाना के निजामाबाद में मुस्लिम परिवार से आकर मुक्केबाजी की ड्रेस ‘टी शर्ट और शॉर्ट' में खेलने से निकहत और उनके माता-पिता को तानों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया। एक दशक पहले जूनियर विश्व चैम्पियनशिप का खिताब जीतने के बाद निकहत का कंधा बाउट के दौरान उतर गया जिससे उन्हें करीब एक साल तक रिंग से दूर रहना पड़ा। लेकिन वह एलीट स्तर पर खुद को साबित करने के लिये जी जान से जुटी रहीं और उन्होंने शानदार वापसी की। उन्होंने 2019 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक और थाईलैंड ओपन में रजत पदक जीता।
लेकिन इंडिया ओपन में वह महिला मुक्केबाजी के इतिहास की सबसे महान मुक्केबाज मैरीकॉम को नहीं हरा सकीं। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने 2019 विश्व चैम्पियनशिप से पहले ट्रायल करने से इनकार कर दिया जिसने मैरीकॉम के निरंतर प्रदर्शन के कारण उन्हें ही चुनने का फैसला किया और मणिुपर की मुक्केबाज ने भी अपना आठवां विश्व चैम्पियनशिप पदक जीता। जब बीएफआई ने मैरीकॉम को उनके विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक पदर्शन की वजह से तोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर के लिए भेजने का फैसला किया तो निकहत ने तब के खेल मंत्री किरेन रीजीजू से एक ‘निष्पक्ष ट्रायल' करने की मांग रखी। निकहत की अनुरोध को स्वीकार करते हुए ट्रायल की घोषणा हुई लेकिन यह युवा मुक्केबाज अपने से अनुभवी मैरीकॉम से एक तरफा मुकाबले में हार गयी। लेकिन यह घटना भी निकहत के जज्बे को कम नहीं कर सकी और इस मुक्केबाज ने इसके बाद मिले मौकों का पूरा फायदा उठाते हुए यहां तक का सफर तय किया।
निकहत की शुरूआती जीत के बाद लोगों ने उन्हें मैरीकॉम का उत्तराधिकारी बनने की संभावना जतायी और हाल की जीत से यह मजबूत ही होती दिख रही है। वह अक्टूबर 2021 के बाद से बेहतरीन फॉर्म में है। उन्होंने तब से एक भी मुकाबला नहीं गंवया है, उन्होंने दो राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीते, 2022 स्ट्रैंड्जा मेमोरियल, 2022 विश्व चैम्पियनशिप, सारे चयन ट्रायल और राष्ट्रमंडल खेल में जीत हासिल की। पिछले साल इस्तांबुल में उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।
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