नई दिल्ली/ धीरज सिंह। कोरोना वायरस का कहर थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। आए दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 31 जुलाई तक के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया गया। राज्य में आम लोगों के अलावा नीतीश सरकार के कैबिनेट मंत्री से लेकर अन्य राजनीतिक दलों के सांसद, विधायक, समेत अनेक लोग कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं।
बिहार सरकार पर कोरोना अटैक पिछले दिनों खबर आयी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद रामकृपाल यादव और उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। उसके बाद देर शाम तक बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा भी संक्रमित पाए गए। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल में भी कोरोना के लक्षण पाए गए थे। एक के बाद एक राज्य के प्रतिनिधियों में कोरोना के लक्षण पाए जाने से हड़कंप मच गया है। इसी बीच राज्य में कोरोना मरीजों की कुल संख्या भी 23 हजार को पार कर गयी है।
नहीं थम रहा कोरोना का कहर राज्य में अब तक कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 23,300 हो गई है। वहीं इस महामारी ने अब तक 173 लोगों की जान भी ले ली है। सूबे में अब भी 8,130 केस सक्रिय हैं और लगभग 15 हजार लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। बिहार में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले काफी चिंताजनक है। स्वास्थ्य सुविधा के मामले में बिहार अन्य राज्यों की तुलना में काफी पिछड़ा है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां कोरोना टेस्टिंग काफी कम की जा रही है। हालांकि नीतीश कुमार ने आदेश दिए हैं कि अब रोजाना 20 हजार टेस्टिंग की जाएगी। अब तक रोज 10 हजार टेस्ट हो रहे थे।
आइसोलेशन में शासन व्यवस्था राज्य में अभी तक गिने चुने कुल 20 टेस्टिंग लैब हैं। इसके अलावा अस्पतालों की दुर्दशा आए दिन सबके सामने होती है। बिहार सरकार अगर इसी तरह वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ती रही तो बचाव के लिए लॉकडाउन ही एक मात्र उपाय बचेगा। माना जाता है कि लॉकडाउन राज्य व अपने अधिकार क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने और टेस्टिंग से जुड़ी समस्या को सुदृढ़ करने के लिए होता है। लेकिन मानों ऐसा लगता है कि बिहार सरकार लॉकडाउन को ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख हथियार के रूप में अपना रही है।
कोरोना के साथ-साथ ये भी है परेशानी बिहार के लोगों के लिए कोरोना के साथ-साथ बाढ़ भी मुसिबत बनती जा रही है। ऐसे में एक तरफ लोगों को अपने आजीविका नष्ट होने का डर है तो दूसरी ओर बिहार सरकार की कोरोना के खिलाफ नीतियां भी उनके लिए कम चिंताजनक नहीं है। ऐसे ही अगर बिहार में लॉकडाउन लागू रहा और आजीविका चलाने के सारे साधन बंद रहे तो कोरोना से पहले मजदूर वर्ग व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भूखमरी से मर सकते हैं। ऐसे में सरकार को अपने किसी भी फैसले से पहले समाज के अंतिम व्यक्ति के बारे में भी सोचना होगा।
विपक्ष का चुनाव न करवाने की मांग कुछ दिनों से बिहार विधानसभा चुनाव के टाइम पर करवाने को लेकर सत्तापक्ष व विपक्ष आमने सामने आ गया है। एक तरफ विपक्ष इस महामारी में विधानसभा चुनाव न कराने की मांग कर रहा है। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और बीजेपी समय पर ही चुनाव कराने के लिए अमादा है। भले ही विपक्ष के इस मांग में उनकी राजनीतिक मंशा छिपी हो लेकिन ऐसे समय में जब पूरी दुनिया एक भयावह संकट से जूझ रही है तो उस समय ऐसे किसी भी काम को करने से बचना चाहिए जो आम लोगों के लिए खतरा पैदा कर सके।
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