Thursday, Sep 28, 2023
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not oppose demand for jpc probe adani issue sake opposition unity: sharad pawar

विपक्षी एकता की खातिर अडाणी मुद्दे की JPC जांच की मांग का विरोध नहीं करेंगे: पवार

  • Updated on 4/11/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी पार्टियों की मांग से हालांकि सहमत नहीं है, लेकिन वह विपक्षी दलों की एकता की खातिर उनके रुख के खिलाफ नहीं जाएगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने इससे पहले कहा था कि एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है तो संसद में सत्तारूढ़ भाजपा के संख्याबल को देखते हुए उसमें (समिति में) उसका बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच के परिणाम पर संदेह उत्पन्न होगा। मराठी समाचार चैनल ‘एबीपी माझा' के साथ एक साक्षात्कार में पवार ने कहा, ‘‘हमारी मित्र पार्टियों की राय (जेपीसी पर) हमसे अलग है, लेकिन हम अपनी एकता बनाए रखना चाहते हैं। मैंने अपनी राय (जेपीसी जांच की निरर्थकता पर), दी लेकिन यदि हमारे सहयोगियों (विपक्षी दलों) को लगता है कि जेपीसी जरूरी है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे।''

पवार ने कहा, ‘‘हम उनसे (विपक्षी दलों से) सहमत नहीं हैं, लेकिन विपक्षी एकता की खातिर, हम इस पर (कि जेपीसी नहीं होनी चाहिए) जोर नहीं देंगे।'' शनिवार को, राज्यसभा सदस्य ने संवाददाताओं से कहा था कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी जांच के पूरी तरह से विरोध में नहीं हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति इस मामले में ‘‘अधिक उपयोगी और प्रभावी'' होगी। पवार की टिप्पणी को विपक्षी एकता के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया।

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस मुद्दे पर राकांपा के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन समान विचारधारा वाले 19 दलों का मानना है कि ‘‘प्रधानमंत्री से जुड़े अडाणी समूह'' का मुद्दा वास्तविक और बहुत गंभीर है। पवार ने कहा कि यदि जेपीसी का गठन होता है, तो लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा की संख्या को देखते हुए, समिति में सत्तापक्ष के 14-15 सदस्य होंगे, जबकि विपक्ष के पांच से छह सांसद होंगे।

राकांपा नेता ने कहा था कि इसके बजाय, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति को इस मुद्दे की जांच करनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने शेयर बाजारों के लिए विभिन्न नियामक पहलुओं को देखने के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन करने का आदेश दिया था, जिसमें हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से हाल ही में अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट शामिल है। 

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