नई दिल्ली/ताहिर सिद्दीकी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public transport) सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए बसों के रूटों को चार श्रेणियों में बांटकर बसें चलाने की योजना है। इससे लोगों को बसों (Buses) के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके तहत हाई फ्रिक्वेंसी रूट्स, प्राइमरी रूट्स, सेकेंडरी रूट्स और फीडर रूट्स में बांटकर बसों के परिचालन को बेहतर किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने डिम्ट्स को बस रूटों को तर्कसंगत बनाने के लिए इसकी स्टडी की जिम्मेदारी सौंपी थी। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने की कवायद डिम्ट्स ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। इन सिफारिशों के आधार पर बस रूटों को बेहतर बनाने की योजना पर सरकार काम करेगी। बता दें कि नई बसों की खरीद को ध्यान में रखकर रूटों को बेहतर बनाने की कवायद शुरू की गई है। रिपोर्ट में 220 रूटों को महत्वपूर्ण मानते हुए इसे कोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के रूप में विकसित करने की बात की गई है।
दिल्ली को अब अपने पब्लिक बस सिस्टम के लिए जाना जाएगा: अरविंद केजरीवाल 220 रूटों को कोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के रूप में विकसित करने की योजना इससे बसों की खस्ताहाल व्यवस्था को दुरूस्त करने में मदद मिलेगी। डिम्ट्स ने अपनी रिपोर्ट में पहले स्तर पर अति व्यवस्त (हाई फ्रिक्वेंसी) रूट को रखा है। इसमें सीबीडी सर्कुलेटर्स,सुपर ट्रंक रूट्स व ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर को रखा गया है। इन रूटों पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है। वर्तमान में राजधानी में 30 हाई फ्रिक्वेंसी रूट्स हैं और इस पर 823 बसें चल रही हैं। लेकिन आने वाले समय में प्रथम चरण में इन रूटों पर 388 और बसें चलाने का प्रस्ताव है। इससे 1211 बसें इन रूटों पर नियमित रूप से चल सकेंगी और यात्रियों को 5 से 10 मिनट में बसें उपलब्ध कराई जाएगी।
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हाई फ्रिक्वेंसी रूटों में 3 सीबीडी, 21 सुपर ट्रंक रूट व 6 ईस्ट-वेस्ट को कनेक्ट करने वाले रूट शामिल वहीं,दूसरे स्तर पर प्राइमरी रूट्स को रखा गया है। वर्तमान में 56 प्राइमरी रूट हैं,जिस पर 734 बसें उपलब्ध हैं। आने वाले समय में इन रूटों पर 586 और बसें चलाने का प्रस्ताव है। इससे प्राइमरी रूटों पर 1320 बसें चल सकेंगी। नई व्यवस्था लागू होने से यात्रियों को औसतन 12 मिनट और अधिकतम बीस मिनट में बसें उपलब्ध हो सकेंगी। बता दें कि प्रथम चरण के बाद दूसरे चरण में बसों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। जबकि पुराने रूटों में 10 रूट ऐसे हैं, जिन पर दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसें मौजूदा समय में नहीं चलाई जाती हैं। इसलिए ये रूट पूरी तरह बंद पड़े हैं। लेकिन अब इन रूटों पर भी 47 बसें चलाने की योजना है,ताकि एक घंटे में एक बस इन रूटों पर भी मिल सके।
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लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर भी जोर सुपर ट्रंक रूटों की लंबाई औसतन 20 से 42 किलोमीटर तक होगी। इससे मुख्य मार्गों पर लोगों को बसों के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रिपोर्ट में लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया गया है, ताकि लोगों को घर से 500 मीटर के दायरे में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा मिल सके। सामान्य रूटों की बनिस्बत सुपर ट्रंक रूटों की लंबाई अधिक रखी गई है। इसके दायरे में राजधानी के सभी महत्वपूर्ण इलाकों को लाने की कोशिश की गई है। वहीं, आसपास की कॉलोनियों से लोगों को ट्रंक रूटों पर लाने के लिए फीडर बसों की भी समुचित व्यवस्था की जाएगी।
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