नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजधानी के निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के बच्चों के दाखिले की अधिसूचना अगले एक दो दिन में शिक्षा निदेशालय जारी करेगा। लेकिन दाखिले की अधिसूचना जारी होने से पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
दरअसल एक गैर सरकारी संगठन डिवाइन ऑर्गनाइजेशन ऑफ रूरल एजुकेशन की ओर से अदालत में दाखिल याचिका कर निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के बच्चों के दाखिले पारंपरिक तरीके या ऑफलाइन आवेदन मंगवाकर करने की मांग की गई थी।
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डिवाइन ऑर्गनाइजेशन ऑफ रूरल एजुकेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. कामेश्वर राव की पीठ ने ऑनलाइन दाखिला प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि निजी स्कूलों में इस वर्ग के दाखिले के लिए सरकार को ऑफलाइन आवेदन मंगाने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। पीठ ने फैसले में यह भी माना कि ऑफलाइन प्रक्रिया अपनाने से अनियमितता होने की संभावना अधिक रहेगी।
याचिका में यह भी कहा गया था कि ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत लॉटरी प्रणाली से दाखिला कराने पर ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के लिए आरक्षित सीटें खाली रह जाती हैं, इसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता रमेश सिंह ने हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि दाखिले के लिए ऑफलाइन आवेदन प्रणाली को नहीं अपनाया जा सकता है। उन्होंने पीठ को बताया कि जहां तक नि:शुल्क कोटे की सीटें खाली रहने की संभावना है तो सीटें खाली रहने पर बार-बार लॉटरी निकाली जाएगी।
आपको बता दें कि जुलाई 2018 में शिक्षा निदेशालय ने सर्कुलर जारी कर सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों में दूसरी और इससे ऊपर की कक्षा में ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के बच्चों का दाखिला ड्रॉ के जरिए कराने का फैसला लिया था।
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इस मसले पर एजुकेशन एक्सपर्ट और अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया ही सबसे सही है। उन्होंने कहा कि अगर किसी का घर से 20 किमी. दूर स्कूल ड्रॉ में निकल आता है या फिर किसी लड़की का दाखिला ब्वायज स्कूल में हो जाता है तो निदेशालय को ऐसे मामलों को संज्ञान में लेना चाहिए।
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