Friday, Sep 22, 2023
-->
omar khalid 1000 days in jail: a large number of people gathered in support

उमर खालिद के जेल में 1000 दिन : समर्थन में जुटे बड़ी संख्या में लोग

  • Updated on 6/9/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। वर्ष 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद के जेल में 1000 दिन पूरे होने पर उसके साथ एकजुटता दिखाते हुए यहां बड़ी संख्या में विद्यार्थियों , मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों ने यहां कार्यक्रम किया। ये कार्यकर्ता ‘लोकतंत्र , असंतोष और सेंशरशिप' पर चर्चा के लिए यहां प्रेस क्लब में जुटे और उन्होंने कहा कि सलाखों के पीछे खालिद के 1000 दिन ‘प्रतिरोध के 1000 दिन' हैं। पहले यह कार्यक्रम गांधी पीस फाउंडेशन में होना था लेकिन कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि पुलिस ने आयोजन स्थल प्रबंधकों को उनकी बुकिंग रद्द करने के लिए बाध्य किया।

खालिद को 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसपर अवैध गतिविधि रोकथाम और भादंसं की धाराएं लगायी गयी हैं। पुलिस का दावा है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे का वह सूत्रधार था। इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गयी थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा, ‘‘ यह 1000 दिनों की जेल और 1000 दिनों का प्रतिरोध है। उमर खालिद यह जानकर खुश होगा कि इस चिलचिलाती धूप में सैंकड़ों लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए इकट्ठा हुए।''

उन्होंने कहा , ‘‘ यह एकजुटता केवल उमर के लिए नहीं बल्कि सभी राजनीतिक बंदियों के लिए है। यह स्मृति की लड़ाई है। प्रमुख स्मृति आजकल मुख्यधारा है जबकि हाशिये के समुदायों की यादों की अनदेखी की जाती है।'' वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने कहा कि न्याय का रास्ता खालिद जैसे लोगों के मामले में बड़ा लंबा खींच गया। उन्होंने कहा, ‘‘ जो 1000 दिन बीते हैं, उसे याद रखिए। याद रखिए कि ये महज खालिद के जेल के महज 1000 दिन नहीं है बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए शर्म के 1000 दिन हैं।'' इस मौके पर खालिद के पिता एस क्यू आर इलियास भी मौजूद थे जिन्होंने कहा कि जेल की दीवारें उनके बेटे के उत्साह को नहीं फीका कर पायी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ क्या 1000 दिनों की जेल उमर का विश्वास तोड़ पायी है, क्या यह उसके दोस्तों का उत्साह कमजोर कर पायी है? बिल्कुल नहीं। जब मैं उन सभी को देखता हूं जिन्होंने अदालती सुनवाई के दौरान जेल में रख दिया है, मुझे उनके चेहरे पर विश्वास नजर आता है। वे जानते हैं कि वे एक मकसद के लिए जेल में हैं।'' उन्होंने कहा कि उनका बेटा देश और लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब दंगे हुए तब उनका बेटा दिल्ली में नहीं था लेकिन पुलिस ने इसे ‘बेगुनाही का सबूत' मानने से इनकार कर दिया।

इलियास ने अपने बेटे, शरजील इमाम, खालिद सैफी, शिफा उर रहमान समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की। आयोजन स्थल को लेकर विवाद पर उच्चतम न्यायालय के वकील शाहरूख आलम ने कहा कि आयोजन स्थल की बुकिंग दिल्ली पुलिस के दखल के बाद रद्द कर दी गयी। इस मौके पर जेएनयू के प्रोफेसर एमिरेट्स प्रभात पटनायक ने कहा कि खालिद की लंबी हिरासत न केवल निजी त्रासदी है बल्कि ‘मेधा की सामाजिक बर्बादी' भी है। इस मौके पर पत्रकार रवीश कुमार, लेखिका अरूंधति राय, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हामिद आदि मौजूद थीं। 

comments

.
.
.
.
.