नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय द्वारा राजद्रोह कानून के तहत सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाने के बाद विपक्ष ने बुधवार को इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि सच्चाई की आवाज को अब दबाया नहीं जा सकता। वहीं, सरकार ने ‘‘लक्ष्मण रेखा’’ बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी संस्था को ‘हद’ पार नहीं करनी चाहिए। न्यायालय के फैसले के बाद विपक्षी दलों के केंद्र पर निशाना साधने के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि आदेश को सरकार के समग्र सकारात्मक सुझाव के संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि वह इस मामले की जांच करना चाहती है जिसे अदालत ने ‘‘विधिवत स्वीकार’’ किया है।
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शीर्ष अदालत के निर्देश जारी करने के कुछ ही समय बाद संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा, ‘‘हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं। अदालत को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए। इसी तरह सरकार को भी अदालत का सम्मान करना चाहिए। हमारी स्पष्ट सीमाएं हैं और उस ‘लक्ष्मण रेखा’ को किसी को पार नहीं करना चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने व्यवस्था दी कि प्राथमिकी दर्ज कराने के अलावा, देशभर में राजद्रोह संबंधी कानून के तहत चल रही जांच, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक रहेगी। पीठ ने कहा कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हितों और नागरिकों के हितों को राज्य के हितों के साथ संतुलित करने की जरूरत है। सरकार ने पूर्व में एक हलफनामे में कहा था कि वह कानून से जुड़े मुद्दों पर विचार करने को तैयार है। भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने हलफनामे का हवाला देते हुए कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश को सरकार के सकारात्मक सुझावों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसे अदालत ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।’’
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Speaking “truth to power” is not #Sedition but true Nationalism! What @INCIndia said in its 2019 Election Manifesto is finally coming true. Our Statement 👇 pic.twitter.com/V6a2n3Xn9c — Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 11, 2022
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अभी तक 1500 पुराने और अप्रचलित हो चुके कानूनों को समाप्त किया है और 25,000 से अधिक अनुपालन बोझ कम किए है ताकि आम नागरिकों का जीवन सुगम हो सके। कांग्रेस ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट््वीट किया, ‘‘सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत!’’ गांधी की टिप्पणी के लिए उन पर पलटवार करते हुए रीजीजू ने कांग्रेस को स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान का ‘‘विरोधी’’ करार दिया और कहा कि ये कांग्रेस नेता के ‘‘खोखले शब्द’’ हैं।
न्यायालय ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाई, मंत्री रीजीजू ने याद दिलाई ‘लक्ष्मण रेखा’
रीजीजू ने विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह कांग्रेस है। यह पार्टी हमेशा भारत को तोडऩे वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और उसने भारत को बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।’’ रीजीजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार हमेशा भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा ‘‘यह हमारे संविधान में निहित मूल्यों की भी रक्षा करेगी। कांग्रेस और उसके टुकड़े-टुकड़े गिरोह के तंत्र को दूसरों को उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।’’
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सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत! pic.twitter.com/AvbWVxKh6p
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 11, 2022 > कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘सत्ता को आईना दिखाना राष्ट्रधर्म है। यह देश विरोधी नहीं हो सकता। उच्चतम न्यायालय ने आज यही स्पष्ट संदेश दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता के सिंहासन पर बैठे निरंकुश शासक, लोगों की आवाज कुचलने वाले निरंकुश राजा, जनविरोधी नीतियों की आलोचना करने पर लोगों को जेल में डालने वाले राजा अब जान लें कि जनता खड़ी हो चुकी है, अब जनता को दबाया नहीं जा सकता है।’’ सुरजेवाला के अनुसार, ‘‘कांग्रेस 2019 में यह कानून खत्म करना चाहती थी, आज उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था से यह साबित हो गया कि हमारा रास्ता सही है।’’
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SC has stayed all proceedings in sedition cases and has directed the Centre and states to not register any fresh FIR invoking sedition. Comrade @SitaramYechury speaks on this judgement. pic.twitter.com/FWebHTeU0i — CPI (M) (@cpimspeak) May 11, 2022
SC has stayed all proceedings in sedition cases and has directed the Centre and states to not register any fresh FIR invoking sedition. Comrade @SitaramYechury speaks on this judgement. pic.twitter.com/FWebHTeU0i
वाम दलों ने मांग की कि उच्चतम न्यायालय को राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए और सरकार द्वारा इसकी समीक्षा करने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘माकपा ने हमेशा राजद्रोह कानून का विरोध किया है और इसे अंग्रेजों द्वारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के दमन के लिए लाया गया दोषपूर्ण कानून कहा है। स्वतंत्र भारत में कानून की किताबों में इसकी कोई जगह नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी बात है कि न्यायालय ने आदेश दिया है कि इस प्रावधान पर रोक रहेगी। मोदी नीत सरकार की यह दलील दिखावटी है कि वह मामलों की समीक्षा करेगी क्योंकि वह 2014 से सभी विरोधियों का उत्पीडऩ करने के लिए राजद्रोह कानून का पूरी तरह दुरुपयोग कर रही है।’’
AAP नेता संजय सिंह बोले- भाजपा ने आवाज दबाने के लिए इस्तेमाल किया राजद्रोह कानून का
SC के फ़ैसले का स्वागत है। बीजेपी सरकार के खिलाफ जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे दबाने के लिए BJP झूठे केस लगा देती हैं। UP में मेरे ख़िलाफ़ भी इस क़ानून का दुरुपयोग हुआ। जो असली गुंडे हैं उन्हें BJP बचाती है। कानून को बचाने के बजाय गुंडों और लफंगों को बचाने में जुटी है BJP pic.twitter.com/2EXSxnfBHX — Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 11, 2022
SC के फ़ैसले का स्वागत है। बीजेपी सरकार के खिलाफ जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे दबाने के लिए BJP झूठे केस लगा देती हैं। UP में मेरे ख़िलाफ़ भी इस क़ानून का दुरुपयोग हुआ। जो असली गुंडे हैं उन्हें BJP बचाती है। कानून को बचाने के बजाय गुंडों और लफंगों को बचाने में जुटी है BJP pic.twitter.com/2EXSxnfBHX
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए अपने बयान में कानून को रद्द करने की मांग दोहराई। उसने दावा किया कि इस मामले में पार्टी के सतत रुख को समर्थन मिला है। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने फैसले का स्वागत किया और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी इसका इस्तेमाल अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को दबाने के लिए कर रही है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी राजद्रोह कानून के संबंध में उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत किया।
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