नई दिल्ली/टीम डिजिटल। विपक्षी दल बृहस्पतिवार को अडाणी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों का मुद्दा संसद में संयुक्त रूप से उठाने पर सहमत तो हुए, लेकिन गुजरात की इस दिग्गज कंपनी के खिलाफ जांच के तौर-तरीके पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों की आहूत बैठक में दोनों सदनों में अडाणी के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाने और सरकार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सोमवार से चर्चा शुरू करने के लिए मजबूर करने पर आम सहमति बनी।
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All parties have taken a stand. Wastage of LIC's money, loans taken from SBI-PNB, several institutions invested in Adani Enterprises.Not targeting an individual. Our goal is that there be an inquiry into the scam, either through JPC or by SC & then action be taken: Congress chief pic.twitter.com/xz3pPrynuL — ANI (@ANI) February 2, 2023
All parties have taken a stand. Wastage of LIC's money, loans taken from SBI-PNB, several institutions invested in Adani Enterprises.Not targeting an individual. Our goal is that there be an inquiry into the scam, either through JPC or by SC & then action be taken: Congress chief pic.twitter.com/xz3pPrynuL
विपक्षी नेताओं के एक वर्ग का विचार था कि सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों द्वारा कॉर्पोरेट संस्थाओं में "जबरन" निवेश को लेकर सरकार पर निशाना साधा जाना चाहिए। इन नेताओं का यह भी विचार था कि हिंडनबर्ग रिसर्च के संदर्भ से बचा जाना चाहिए, क्योंकि यह इस मुद्दे को भारत के संदर्भ से बाहर करने जैसा होगा। हालांकि खरगे ने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक के बाद इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग की, लेकिन नेताओं के एक समूह ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली जांच या भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जांच का समर्थन किया।
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राज्यसभा में टीएमसी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, "विभिन्न दल दोनों सदनों के पटल पर इस बारे में अपने विचार व्यक्त करेंगे कि इस घोटाले को उजागर करने के लिए किस तरह की जांच की जानी चाहिए।" समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के सभी नेता इस बात पर एकमत थे कि राष्ट्रपति के अभिभाषण और केंद्रीय बजट पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अडाणी समूह के शेयरों की गिरावट का मुद्दा संसद में उठाया जाना चाहिए। एक विपक्षी नेता ने कहा, "पार्टियों का विचार है कि बड़े अनुपात के इस घोटाले पर सदन के पटल पर चर्चा की जानी चाहिए।" विपक्षी नेताओं ने कहा कि जहां कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जेपीसी जांच पर जोर दिया, वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे दलों ने शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच पर जोर दिया।
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कुछ पार्टियों ने बाजार नियामक सेबी द्वारा जांच का समर्थन किया। खरगे द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद विपक्षी दलों की शुक्रवार को फिर से बैठक होनी है। सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में टीएमसी और कुछ अन्य दलों के शामिल होने की संभावना नहीं है। विपक्षी दलों के शुक्रवार को संसद में गांधी प्रतिमा के पास बैठक करने और अडाणी मुद्दे को उठाने की भी संभावना है। इस बीच मुंबई से प्राप्त समाचार के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अडाणी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की जांच भारतीय रिजर्व बैंक या सेबी द्वारा कराये जाने की मांग की।
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On Jan 30 @LICIndiaForever said market value of their Adani holding as of Jan 27 vs entry price was +86%. Since then Adani stocks have lost >50%. Watch out #IRDA - depositor money at stake here! pic.twitter.com/jFXTk16q9x — Mahua Moitra (@MahuaMoitra) February 2, 2023
On Jan 30 @LICIndiaForever said market value of their Adani holding as of Jan 27 vs entry price was +86%. Since then Adani stocks have lost >50%. Watch out #IRDA - depositor money at stake here! pic.twitter.com/jFXTk16q9x
कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भाजपा पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि एक समूह के शेयरों में गिरावट केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों के राजनीतिक पतन की शुरुआत है। किसी भी कंपनी का नाम लेने से बचते हुए विजयन ने राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए यह बात कही।
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