नई दिल्ली/टीम डिजिटल। विपक्षी दलों ने रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) के इस्तेमाल की आवश्यकता पर सोमवार को सवाल उठाया और निर्वाचन आयोग से चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी वर्ग की उदासीनता के मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरवीएम की कार्य प्रणाली के प्रदर्शन के लिए निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा आयोजित राजनीतिक दलों की बैठक में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई भी विपक्षी दल रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन को नहीं देखना चाहता। पहले ऐसी मशीन की आवश्यकता का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए।'' मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक आरवीएम का प्रदर्शन न हो। उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल प्रदर्शन देखने को तैयार नहीं है।
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सिंह ने कहा, ‘‘आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है।'' उन्होंने कहा कि आयोग को देश के विशिष्ट नागरिकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बारे में उठाई गई चिंताओं का समाधान करना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी उदासीनता के मुद्दे को भी संबोधित करना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने भी आरवीएम की जरूरत पर सवाल उठाया और कहा कि मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ाने के दूसरे रास्ते भी हैं। उन्होंने कहा, “हम विभिन्न राज्यों में आरवीएम का इस्तेमाल करने वाले पात्र प्रवासी मजदूरों के बीच प्रचार अभियान कैसे चलाएंगे? अगर सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव है, उदाहरण के तौर पर जलंधर में, तब आरवीएम अस्वीकार्य है।” गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन के लिए आठ राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 57 दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में आठ राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 40 दलों ने दिनभर इस पर चर्चा की और उन मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति जताई, जो मतदान नहीं कर पाते हैं।
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उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के 80 प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के विचारों को ध्यानपूर्वक सुना और इस विषय पर सभी दलों को आमंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल की सराहना की। राजनीतिक दलों ने चर्चा के लिए भविष्य में नियमित अंतराल पर ऐसी ही बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया। कुछ राजनीतिक दलों ने आरवीएम का प्रदर्शन राज्यों में भी करने का आग्रह किया। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने आरवीएम के संदर्भ में राजनीतिक दलों को अपने विचारों पर लिखित प्रतिवेदन सौंपने की समय सीमा 28 फरवरी 2023 तक बढ़ा दी है। इससे पहले, निर्वाचन आयोग ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा विकसित आरवीएम किसी भी तरह से इंटरनेट से नहीं जुड़ी होगी। पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने कहा था कि अगर यह पहल लागू की जाती है, तो प्रवासियों के लिए इससे ‘‘सामाजिक परिवर्तन'' हो सकता है। प्रत्येक मशीन के जरिये 72 निर्वाचन क्षेत्रों में रह रहे प्रवासी मतदाता दूरस्थ मतदान केंद्र से अपना वोट डाल सकेंगे।
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आरवीएम के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए कानून में आवश्यक बदलाव जैसे मुद्दों पर जनवरी के अंत तक राजनीतिक दलों को अपने विचार लिखित रूप में देने के लिए भी कहा गया था। रविवार को, अधिकतर विपक्षी दलों के नेताओं ने कांग्रेस द्वारा आयोजित एक बैठक के बाद आरवीएम पर निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया था। इस बैठक में जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेताओं के साथ-साथ राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने भी हिस्सा लिया था।
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