नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली की केजरीवाल सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार के अध्यादेश को अब विपक्षी एकजुटता के तौर पर आने वाले दिनों में भुनाया जा सकता है। इसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व में गठित नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के एक दिन बाद रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली के अपने समकक्ष अरविंद केजरीवाल के आवास पर उनसे मुलाकात की। नीतीश कुमार ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र के साथ जारी आम आदमी पार्टी सरकार की तनातनी के मामले में उन्हें अपने ‘‘पूर्ण समर्थन'' का आश्वासन दिया। बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे।
दिल्ली का अध्यादेश न्यायपालिका का अपमान है। ये भाजपा की नकारात्मक राजनीति का परिणाम है और लोकतांत्रिक-अन्याय का भी। भाजपा जानती है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर उसकी करारी हार होगी, इसीलिए जनता से पहले से ही बदला ले रही है। अध्यादेश के नाम पर ये जनादेश की हत्या है। — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 21, 2023
दिल्ली का अध्यादेश न्यायपालिका का अपमान है। ये भाजपा की नकारात्मक राजनीति का परिणाम है और लोकतांत्रिक-अन्याय का भी। भाजपा जानती है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर उसकी करारी हार होगी, इसीलिए जनता से पहले से ही बदला ले रही है। अध्यादेश के नाम पर ये जनादेश की हत्या है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इशारों में अपना समर्थन अपने ट्वीट के जरिए जाहिर कर दिया है। अखिलेश ने लिखा है, 'दिल्ली का अध्यादेश न्यायपालिका का अपमान है। ये भाजपा की नकारात्मक राजनीति का परिणाम है और लोकतांत्रिक-अन्याय का भी। भाजपा जानती है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर उसकी करारी हार होगी, इसीलिए जनता से पहले से ही बदला ले रही है। अध्यादेश के नाम पर ये जनादेश की हत्या है।'
बता दें कि केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए एक प्राधिकरण बनाने के वास्ते अध्यादेश जारी किया था। पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि मामलों को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार को देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक सप्ताह बाद केंद्र का अध्यादेश आया। बैठक के बाद केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस मामले में समर्थन लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से सभी विपक्षी दलों के प्रमुखों से मिलेंगे, ताकि अध्यादेश की जगह लेने के लिए केंद्र द्वारा लाए जाने वाले किसी भी विधेयक को राज्यसभा में पारित होने से रोका जा सके। केजरीवाल ने कहा, ‘‘परसों(मंगलवार) मेरी कोलकाता में अपराह्न तीन बजे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक होगी।
Supreme Court की संवैधानिक पीठ ने 5-0 से दिल्ली सरकार को सारी शक्तियां दी थी जिसे 8 दिन बाद केंद्र ने अध्यादेश लाकर पलट दिया, ये संविधान के ख़िलाफ़ है।@NitishKumar जी दिल्ली की जनता के साथ खड़े हैं और इस अन्याय में केंद्र के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ेंगे। अगर केंद्र इस Ordinance को… pic.twitter.com/Q5s4W2yBa3 — AAP (@AamAadmiParty) May 21, 2023
Supreme Court की संवैधानिक पीठ ने 5-0 से दिल्ली सरकार को सारी शक्तियां दी थी जिसे 8 दिन बाद केंद्र ने अध्यादेश लाकर पलट दिया, ये संविधान के ख़िलाफ़ है।@NitishKumar जी दिल्ली की जनता के साथ खड़े हैं और इस अन्याय में केंद्र के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ेंगे। अगर केंद्र इस Ordinance को… pic.twitter.com/Q5s4W2yBa3
इसके बाद, मैं हर दल के अध्यक्ष से मुलाकात करूंगा और इस मामले में उनका औपचारिक समर्थन मांगूंगा ताकि अध्यादेश की जगह लेने के लिये लाए जाने वाले किसी भी विधेयक को राज्यसभा में पारित होने से रोका जा सके।' दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने नीतीश कुमार जी से भी इस संबंध में सभी (विपक्षी) दलों से बात करने का अनुरोध किया है।'' गौरतलब है कि एक अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि अगर विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाता है, तो यह संदेश जाएगा कि भाजपा 2024 का लोकसभा चुनाव हार जाएगी। ‘आप' के राष्ट्रीय संयोजक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल होगा।''
वहीं, नीतीश कुमार ने मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अध्यादेश लाने के लिए केंद्र की आलोचना की। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता ने कहा, ‘‘आप एक निर्वाचित सरकार की शक्ति कैसे छीन सकते हैं। संविधान का अध्ययन करें और देखें कि क्या सही है। वह (केजरीवाल) जो कुछ भी कह रहे हैं, वह सही है। हम पूरी तरह से उनके साथ हैं।'' कुमार ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली में अच्छा काम कर रहे हैं और यह आश्चर्यजनक है कि उनकी सरकार को काम करने से रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम कह रहे हैं कि देश में सभी (विपक्षी दलों) को एक साथ आना चाहिए।'' बिहार के मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वह केजरीवाल के समर्थन में विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम और बैठकें करेंगे। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक विपक्षी दल एक साथ आएं और एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जाए, ताकि यह मांग की जा सके कि कानूनों का पालन किया जाए और देश में आपसी सद्भाव और भाईचारा बना रहे।''
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। ऐसी चीजें बंद होनी चाहिए।'' एक सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि वह अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व से भी बात करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई इसका (केजरीवाल के समर्थन का) विरोध करेगा। हम उनसे (कांग्रेस) बात करेंगे।'' वहीं, केजरीवाल को अपनी पार्टी की ओर से समर्थन देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केंद्र विभिन्न राज्यों में गैर-भाजपा सरकारों को लगातार परेशान कर रहा है। यादव ने कहा कि जिस तरह से केंद्र दिल्ली में केजरीवाल सरकार और विभिन्न राज्यों में अन्य दलों की सरकारों को परेशान कर रहा है, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है।
Supreme Court to Government : Ruled to say : Hand over reins of “services” to Delhi Government Government to Supreme Court : Promulgated Ordinance to say : If you come in the way We will still have the final say ! — Kapil Sibal (@KapilSibal) May 20, 2023
Supreme Court to Government : Ruled to say : Hand over reins of “services” to Delhi Government Government to Supreme Court : Promulgated Ordinance to say : If you come in the way We will still have the final say !
केजरीवाल उन गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें कांग्रेस ने कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया था। इस समारोह को विपक्षी दलों द्वारा विपक्षी एकजुटता के प्रदर्शन के तौर पर भी देखा गया था। नीतीश ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों के बीच एकता कायम करने के अपने प्रयासों के तहत केजरीवाल से मुलाकात की। यह नीतीश और केजरीवाल के बीच पिछले लगभग एक महीने में दूसरी मुलाकात है। बिहार के मुख्यमंत्री ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने के अपने प्रयासों के तहत 12 अप्रैल को केजरीवाल के आवास पर उनसे मुलाकात की थी। विपक्षी एकजुटता की कवायद के तहत नीतीश विभिन्न क्षेत्रीय क्षत्रपों से मुलाकात कर रहे हैं। नीतीश विपक्षी दलों के बीच एकता कायम करने की किसी भी कोशिश के लिए कांग्रेस को बेहद अहम मानते हैं।
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