नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) ने पाकिस्तान (Pakistan) को जमकर फटकार लगाई। आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जुड़ी खुली बहस में पाकिस्तान को आतंकवादियों को शरण देने के लिए आड़े हाथ लिया। जयशंकर ने मंगलवार को 1373 को स्वीकार किए जाने के 20 वर्ष बाद आतंकवाद से लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शीर्षक से खुली बहस में हिस्सा लिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना आतंकवादियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई में बाधाएं खड़ी किए जाने की उसकी कोशिशों की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस तरह से यूएनएससी की ओर से दी गई शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
एस जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत में आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरा बताया, साथ ही कहा कि 9/11 हमले के बाद विश्व संस्था ने इस खतरे से निपटने के लिए प्रस्ताव 1373 को मंजूर कर मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
यूएनएससी की सदस्यता दोबारा संभालने के बाद ये पहला मौका डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद से निपटने और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए आठ सूत्री एक्शन प्लान का प्रस्ताव भी सामने रखा, दरअसल 1 जनवरी 2021 को भारत की ओर से यूएनएससी की सदस्यता दोबारा संभालने के बाद ये पहला मौका था कि विदेश मंत्री ने हस्तक्षेप किया। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के लिए ये आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस दिखाने का वक्त है।
आतंकवाद से कई दशकों से लड़ाई लड़ रहा भारत एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि भारत किस तरह आतंकवाद से कई दशकों से लड़ाई लड़ रहा है, उन्होंने कहा, आतंकवादी, आतंकवादी होते हैं, उनमें अच्छे और बुरे का विभेद नहीं हो सकता। जो इस तरह का विभेद करते हैं उनका एक एजेंडा है। जो उनकी हरकतों पर पर्दा डालते हैं, वो भी उनके जैसे ही गुनहगार हैं। जयशंकर ने कहा, आतंकवाद और ट्रांसनेशनल संगठित अपराध की पूरी तरह पहचान की जानी चाहिए और इनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। हमने भारत में 1993 मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आपराधिक सिंडीकेट को 5 स्टार मेहमाननवाजी मिलते देखा गया।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं जयशंकर ने कहा सभी सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी विरोधी संधियों में अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा हमें दुनिया को बांटने वाली और हमारे सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुंचाने वाली सोच को हतोत्साहित करना चाहिए।
ऐसी सोच से कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलता है। संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के लिए निजी व्यक्तियों और संगठनों को सूचीबद्ध करना और सूची से बाहर करना तटस्थता के साथ होना चाहिए। इसमें राजनीतिक और धार्मिक कारणों को नहीं देखा जाना चाहिए।
आतंकवाद और ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर टेरर फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क्स की कमजोरियों की पहचान कर उन्हें दूर करने के लिए कदम उठाते रहना चाहिए। आतंकवाद और ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और इन कड़ियों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।
आतंकवाद से लड़ने के उपायों और पाबंदियां लगाने वाली कमेटियों के काम करने के तरीके में सुधार होने चाहिए, पारदर्शिता, जवाबदेही और कारगर कार्रवाई आज की जरूरत है, जो इस काम में बाधा खड़ी करते हैं और बिना किसी कारण आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई मको रोके रखते है, ऐसी कोशिशों पर विराम लगना चाहिए. ये हमारी सामूहिक साख को नुकसान पहुंचाता है।
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