नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) कश्मीर के मुद्दे (Kashmir Issue) को लेकर भले ही दुनिया के हर देश के सामने गुहार लगा रहे हों लेकिन इमरान खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तानियों को बढ़ रही महंगाई और गिर रही अर्थव्यवस्था का जवाब देने की है। इमरान खान प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद अब तक इस मामले में बुरी तरह विफल रहे हैं और देश की जनता का ध्यान बंटाने के लिए ही वह देश-विदेश में कश्मीर (kashmir) का राग अलाप रहे हैं।
आर्थिक बदहाली के बावजूद पाकिस्तान बढ़ा रहा परमाणु हथियारों का जखीरा
पाकिस्तान की जीडीपी 2018 में 5.5 प्रतिशत थी 3.3% वित्त वर्ष 2019 में बजट डॉक्यूमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 के लिए पाकिस्तान की जीडीपी 2.4 फीसदी रह जाएगी।
डॉलर के मुकाबले 5वां हिस्सा खोया पाकिस्तान के रुपए की डॉलर के मुकाबले बुरी गत हो रही है और इस वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले इसने अपनी वैल्यू का 5वां हिस्सा खो दिया है।
अगले 12 महीने आसमान छुएगी महंगाई पाकिस्तान में महंगाई की दर अगले 12 महीने में 13 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है और यह महंगाई का 10 साल का उच्चतम स्तर होगा।
आर्थिक स्थिति बदतर : आखिर पाकिस्तान का बनेगा क्या
यह है कुछ प्रमुख मुद्दे:-
पाकिस्तान की सरकारी कंपनियां लगातार घाटे में जा रही हैं जिससे सरकारी घाटा लगातार बढ़ रहा है।
पाकिस्तान की करंसी की बुरी हालत है जिसके चलते व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है।
लगातार बढ़ रही महंगाई से कंज्यूमर सेंटिमेंट बिगड़ा है लिहाजा खरीदारी नहीं हो रही जिसके चलते नए निवेशक सामने नहीं आ रहे और नौकरियों का संकट भी पैदा हो गया है।
पाकिस्तान के सिर्फ एक प्रतिशत लोग ही आयकर अदा करते हैं। पाकिस्तान दुनिया में सबसे कम करदाताओं वाले देशों में से एक है क्योंकि इसका कर कलेक्शन रेशों जी.डी.पी. (GDP) का 11 प्रतिशत है।
सत्ता में आने से पहले इमरान खान ने टैक्स चोरों पर लगाम कसने की बात कही थी लेकिन इस मामले में उसकी सरकार बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सकी।
हाल ही में सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई टैक्स एमनेस्टी अब तक शुरू ही नहीं हो सकी है।
इमरान खान की सरकार न सिर्फ राजस्व को बढ़ाने में नाकाम रही है बल्कि नॉन डेवलपमेंट खर्चों पर लगाम लगाने में भी बुरी तरह विफल साबित हुई है।
कर्ज की किस्तों की अदायगी के बाद पाकिस्तान में नॉन डेवलपमेंट का सबसे बड़ा खर्च सेना पर होता है और यह पाकिस्तान के बजट का 17 से 22 प्रतिशत है।
पाकिस्तान की सेना अपने बड़े बिजनेस ऑपरेशन से फंड हासिल करने के अलावा स्टेट बजट से भी भारी मात्रा में पैसा हासिल करती है।
हाल ही में सेना ने माइनिंग के अलावा तेल व गैस की खोज के कार्यों में भी हाथ आजमाना शुरू किया है और इसकी इजाजत भी इमरान खान की सरकार ने ही दी है।
रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी का कमर्शियल एम्पायर (Commercial Empire) करीब 100 बिलियन डॉलर का है और आर्मी बैंकिंग, सीमेंट और रियल एस्टेट के क्षेत्रों में काम कर रही है।
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गवर्नमैंट फाइनांसिस - वित्तीय घाटा जीडीपी का 7.1 प्रतिशत पहुंच गया है। यह 7 वर्ष का उच्चतम स्तर है। - ग्रॉस पब्लिक डेट/जीडीपी का 77.6 प्रतिशत हो गया है।
एफडीआई वित्त वर्ष 2019 में जुलाई से अप्रैल तक के 9 महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 51.7 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि निजी विदेशी निवेश में भी 64.3 प्रतिशत की गिरावट है।
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पाकिस्तान की खस्ता हालत ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2019 के मुताबिक देश में अर्थव्यवस्था की बुरी हालत है और पाकिस्तान बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहा है। जीडीपी में भारी गिरावट आ गई है। सरकार अपना कर्ज उतारने में सक्षम नहीं हो पा रही। पाकिस्तानी रुपया लगातार लुढ़कता जा रहा है और देश पर विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि चीन, सऊदी अरब और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के कर्ज के चलते स्थिति फिलहाल थोड़ी संभली है लेकिन यह संकट लंबे दौर तक चलेगा।
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