नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कराची स्थिति पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है। इसी आर्मी के चार आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। बताया जा रहा है कि इस हमले में 10 नागरिक और चारो आतंकी मारे गये हैं।
इस संगठन की शुरुआत 1970 में हुई जब बलूचिस्तान को अलग प्रांत बनाने की मांग हुई। इस मांग को समर्थन करने के लिए यह ग्रुप सामने आया। जब इसका दायरा और प्रभाव बढ़ने लगा तो जनरल जिया उल हक की तानाशाह सरकार ने इस संगठन से बातचीत बढ़ाई। लेकिन, बात करने से तब कोई मसला हल नहीं हुआ।
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भड़का बलोचों का गुस्सा बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने काफी समत तक कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया था। लेकिन, जब परवेज मुशर्रफ ने पीएम बने तब साल 2000 में बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या हो गई। हत्या के शक में पाकिस्तानी सेना ने बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद से ही आर्मी ने अपने ऑपरेशन को फिर से शुरू कर दिया। इसके बाद से ही पाक फौज और सरकार ने इस आर्मी पर हमलों के आरोप लगाए और पिछली साल अमेरिका ने भी इसे आतंकी संगठन सूची में डाल दिया।
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मॉस्को में नेताओं की ट्रेनिंग कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहती है कि बलूच आर्मी में करीब 6 हजार लड़ाके हैं। इनमें से 2 हजार युद्ध की ट्रेनिंग ले चुके हैं। 2006 के बलूच आर्मी पाक फौज और सरकार के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन गई थी। इनके हमलों में सैकड़ों पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके थे। वहीँ, दावा किया जाता है कि बीएलए के कुछ लड़ाकों को रूस की पूर्व खुफिया एजेंसी केजीबी ने मॉस्को में ट्रेनिंग दी है।
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दो कबीलों के लोग बताया जाता है कि बलूच आर्मी में दो मुख्य कबीले हैं। इन दोनों का बीएलए पर कंट्रोल है। ये कबीले हैं मारी और बुगती। माना जाता है कि इनका इतना ज्यादा खौंफ है कि कई इलाकों में इनके डर के कारण पाकिस्तानी फौज जमीन पर नहीं उतरती। इसलिए हवाई हमले होते हैं। हाल ही में बलूच आर्मी ने पाक सेना की कई चेक पोस्ट को हड़प लिया और उनके सैनिक भी मारे गए। जिसके बाद हवाई हमले किए गये।
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रणनीतिक स्थिति माना जाता है कि बलूचिस्तान की पाकिस्तान में रणनीतिक स्थिति है, क्योंकि इसकी सीमाएं सीमाएं अफगानिस्तान और ईरान से मिलती है। वहीं कराची भी इन इनकी जद में है। इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा बलूचिस्तान से होकर गुजरता है।
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