Wednesday, Mar 22, 2023
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लॉक डाउन में parle G की हुई रिकॉर्ड बिक्री, जानें कैसे बनाई दुनियाभर में पहचान

  • Updated on 6/10/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश में कई कंपनियों के विस्किट कंपनियां आई और गई लेकिन पारले-जी एक ऐसा विस्किट है जिसे लोग इसे शुरूआत से ही पंसद करते आए हैं आज पारले-जी सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि देश में कोरोना के कारण लगे लॉक डाउन में पारले-जी की रिकॉर्ड बिक्री हुई है। वैसे तो ये बिस्किट हमेशा से सबका पसंदीदा रहा है लेकिन 82 साल के इतिहास में ये रहली पर पारले-जी की इतनी जबरदस्त बिक्री हुई है। 

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पारले के सफर की शुरूआत
देश भर में मशहूर पालरे की सफर 1929 में शुरू हुआ था। इसी समय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन ने जोर पकड़ हुआ था। स्वदेशी आंदोलन के अंतर्गत ही 1929 में मोहन लाल दयाल ने मुंबई के विले पार्ले में 12 लोगों के साथ मिलकर पहली फैक्ट्री लगाई थी। माना जाता है कि कस्बे के नाम पर ही कंपनी का नाम रखा गया।

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कंपनी के उत्पाद
परले ने 1938 के शुरूआती दिनों में पारले-ग्लूको नाम से बिस्किट का उत्पाद शुरू किया, फिर 1940-50 के दशक में कंपनी ने भारत के पहले नमकीन बिस्किट मोनाको को लॉन्च किया। जिसके बाद 1956 में एक खाद तरह का स्नैक्स बनाया जो दिखने में पनीर कट की तरह होता है। बिस्किट के बाद पारले ने अब टॉफी का भी उत्पाद करना शुरू तकर दिया और 1963 में किस्मी और 1966 में पॉपींस का निर्माण किया।

फिर 1980 में पारले ग्लूको विस्किट का नाम छोटा कर पारले-जी कर दिया गया, जिसमें जी का मतलब ग्यूकोज से था। आगे के सफर में 1983 में चॉकेलेट मेलोडी और 1986 में भारत में पहला मैंगो कैंडी मैंगो बाइट का उत्पादन किया। साल 1996 में हाइड एंड सीक बिस्‍किट लॉन्च हुआ। 

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7 देशों में मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट्स
पारले की अब भारत से बाहर 7 देशों में मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट्स हैं, जिसमें न, नाइजीरिया, केन्या, आइवरी कोस्ट,  घाना, इथियोपिया, नेपाल शामिल हैं। इतना ही नहीं 2011 में पारले दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट बना था।

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किमत भी है मशहूर होने का कारण
पारले के इनते बड़े स्तर पर बढ़ने के पिछे इसका विज्ञापन भी एक बड़ा कारण रहा है, 90 के दशकर में बच्चों में प्रचलिच शक्तिमान शॉ या कवर पर छोटी बच्ची की फोटो ने लोगों को इसकी तरफ और खिचा। पारले को इसलिए भी इतना पंसद किया जाता है क्योंकि ये 2 रुपये की किमत से लेकर 50 रुपये की मित में मिलता है, जिससे ग्रमिण क्षेत्रों में भी इसकी मांग बढ़ी।  

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