नई दिल्ली/टीम डिजिटल। संसद के 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में सरकार की नजर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट आदि पर सुचारू रूप से चर्चा कराने पर रहेगी लेकिन महंगाई, रोजगार, चीन के साथ सीमा विवाद, अर्थव्यवस्था, सेंसरशिप सहित अन्य मुद्दों पर विपक्ष के हमलावर रुख को देखते हुए बजट सत्र के हंगामेदार होने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में सरकार ने बजट सत्र से पहले विभिन्न विषयों पर आम राय बनाने के लिये 30 जनवरी को राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलायी है।
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सूत्रों ने बताया, ‘‘यह बैठक संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा संसदीय ग्रंथालय भवन में 30 जनवरी को बुलाई गयी है।'' कांग्रेस चीन के मुद्दे पर चर्चा चाहती है तो वहीं तृणमूल कांग्रेस, वामदलों, आरएसपी सहित कई विपक्षी दलों ने संसद सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों, केंद्र-राज्य संबंध आदि पर सरकार को घेरने का इरादा जताया है। तृणमूल कांग्रेस ने सत्र के दौरान केंद्र राज्य संबंध, बीबीसी के विवादास्पद वृतचित्र की पृष्ठभूमि में सेंसरशिप का मुद्दा उठाने पर जोर दिया है। इस बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘भाषा' से कहा, ‘‘ बजट सत्र के पहले हिस्से में राष्ट्रपति का अभिभाषण और उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी । आम बजट पेश किया जायेगा। यह काफी महत्वपूर्ण सत्र है, हम सभी दलों का सहयोग चाहते हैं। ''
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विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों के संबंध में उन्होंने कहा कि विपक्ष के मुद्दों पर कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा होती है और नियमों के अनुसार उन्हें लिया जाता है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा। इस दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी। 31 जनवरी को ही सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र के दौरान 27 बैठक होंगी। पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति का संयुक्त अभिभाषण नए संसद भवन में होगा।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हालांकि सभी कयासों पर विराम लगाते हुए हाल ही में ट्वीट कर जानकारी दी है कि नए संसद भवन का कार्य अभी जारी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राष्ट्रपति का अभिभाषण पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में ही होगा। संसद के बजट सत्र के पहले चरण में विधेयकों पर चर्चा और पारित किये जाने की संभावना कम है । हालांकि सत्र के दूसरे चरण में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं। लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 17वीं लोकसभा के दसवें सत्र के अंत में नौ सरकारी विधेयक लंबित थे जबकि राज्य सभा में दो सौ अठावनवें सत्र (2022) के अंत में 26 विधेयक लंबित थे।
बीआरएस सांसद बजट सत्र में अडानी से लेकर राज्यपाल तक के मुद्दे उठाएं: KCR भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के संसदीय दल ने देश के हालात पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई 'दुर्भाग्यपूर्ण नीतियों' के कारण स्थिति दिन-ब-दिन 'बिगड़ती' जा रही है। एक बयान में कहा गया है कि बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर ने पार्टी सांसदों को निर्देश दिया कि वे संसद के बजट सत्र में ''जनविरोधी नीतियों'' पर अमल करने वाले केंद्र का ‘पर्दाफाश' करें। राव के दफ्तर से जारी बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि संसद के सत्र के दौरान केंद्र की गलतियों को सामने लाना चाहिए तथा राज्य के लोगों के साथ-साथ देश के लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि पार्टी प्रमुख राव की अध्यक्षता में आज प्रगति भवन में बीआरएस संसदीय दल की बैठक हुई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र की "अलोकतांत्रिक राजनीति" को हर संभव लोकतांत्रिक तरीके से सामने लाया जाना चाहिए और इस दिशा में बीआरएस को अन्य दलों के साथ मिलकर संसद के दोनों सदनों में केंद्र सरकार को बेनकाब करना चाहिए। बयान में राव ने आरोप लगाया है, “ भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियां देश की अखंडता और विकास के लिए बाधक बन गई हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।केंद्र मनमाने ढंग से लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा अपने उद्योगपति मित्रों को दे रहा है।”
उन्होंने आरोप लगाया, “ केंद्र सरकार अपनी मित्र कॉरपोरेट ताकतों के प्रति विशेष स्नेह दिखा रही है और लाखों करोड़ रुपये के ऋण माफ कर रही है। एलआईसी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को स्थानांतरित किए जा रहे हैं।” राव ने दावा किया कि केंद्र सरकार राज्यपाल व्यवस्था का भी “दुरुपयोग” कर रही है और राज्यों को कमजोर करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है। राव ने अपनी पार्टी के सांसदों को हिदायत दी कि वे राज्यपाल व्यवस्था का इस्तेमाल करने की “ खराब नीतियों” का दोनों सदनों में कड़ा विरोध करें।
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