नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पिछले साल एक वाहन में आतंकियों को ले जाने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह के खिलाफ जांच रोकने को लेकर कांग्रेस के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए हैं। मुफ्ती ने सोमवार को आरोप लगाया कि देविंदर सिंह को केंद्र ने छोड़ दिया जबकि आतंक रोधी कानूनों के तहत बेकसूर कश्मीरियों को वर्षों तक जेल में रहना पड़ता है। सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए महबूबा ने कहा कि कश्मीरियों को ‘‘निर्दोष साबित होने तक दोषी माना जाता है।’’
Who is J&K Dy. S.P, Devinder Singh? Why can’t Govt hold an enquiry? Why does the enquiry threaten National Security? What is his role,if any, in Pulwama? Who was he arrested with? What’s the name of his accomplices? What is the Modi Govt hiding? Nation has a right to know! pic.twitter.com/ytOrPu0MRE — Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 1, 2021
Who is J&K Dy. S.P, Devinder Singh? Why can’t Govt hold an enquiry? Why does the enquiry threaten National Security? What is his role,if any, in Pulwama? Who was he arrested with? What’s the name of his accomplices? What is the Modi Govt hiding? Nation has a right to know! pic.twitter.com/ytOrPu0MRE
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इससे पहले देविंदर सिंह को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी एसपी देविंदर सिंह कौन हैं? आखिर सरकार कोई जांच क्यों नहीं करना चाहती है? आखिर जांच किस तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है? उनका पुलवामा में कोई रोल था? वह किसके साथ गिरफ्तार किया गया था? उनके साथियों के नाम क्या हैं? मोदी सरकार आखिर क्या छिपाना चाहती है? देश के जानने का अधिकार है?'
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महबूबा की टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब पुलिस उपाधीक्षक सिंह को सेवा से बर्खास्त करने के 20 मई के एक सरकारी आदेश की एक प्रति सोशल मीडिया पर सामने आयी है। आधिकारिक आदेश के अनुसार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सिंह को ‘‘तत्काल प्रभाव’’ से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया था। यह प्रावधान सरकार को जांच किए बिना किसी को सेवा से हटाने की अनुमति देता है और इस निर्णय को सिर्फ हाई कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है।
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महबूबा ने एक ट्वीट में सवाल किया, ‘‘आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत गिरफ्तार किए गए मासूम कश्मीरी सालों से जेलों में सड़ रहे हैं। उनके लिए मुकदमा ही सजा बन जाता है। लेकिन, भारत सरकार आतंकियों के साथ रंगे हाथ पकड़े गए पुलिसकर्मी के खिलाफ जांच नहीं कराती है। क्या ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसने कुछ घटिया घटनाओं को अंजाम देने के लिए व्यवस्था के साथ मिलीभगत की?’’
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उन्होंने कहा, ‘‘चाहे सरकारी नौकरी का मामला हो या पासपोर्ट, उन्हें (कश्मीरी) सबसे बदतर जांच का सामना करना होता है। लेकिन जब एक पुलिसकर्मी के बारे में पता चलता है कि उसने आतंकवादियों की मदद की है तो उसे छोड़ दिया जाता है। दोहरा मापदंड और नापाक मंसूबे बिल्कुल स्पष्ट हैं।’’ सिंह को पिछले साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वह हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर से जम्मू ले जा रहा था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले की जांच की थी और सिंह और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
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