Thursday, Mar 30, 2023
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पेगासस मामला : तकनीकी समिति का हिस्सा बनने में संभावित सदस्यों ने जताई ‘‘निजी मुश्किलें’’

  • Updated on 9/23/2021

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मौखिक रूप से कहा कि वह पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित करेगा और इस मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अगले हफ्ते अंतरिम आदेश पारित करेगा। ये टिप्पणियां इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि केंद्र ने इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कुछ प्रतिष्ठित भारतीयों के फोन हैक करके कथित तौर पर उनकी जासूसी करने की शिकायतों की जांच करने के लिए खुद विशेषज्ञ समिति गठित करने की पेशकश की थी। 

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प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील सी यू सिंह से कहा कि आदेश अगले हफ्ते पारित किया जाएगा। सीजेआई ने कहा, ‘‘हम इस हफ्ते आदेश देना चाहते थे।’’ उन्होंने कहा कि उसे इसलिए रुकना पड़ा क्योंकि अदालत जिन लोगों को तकनीकी समिति का सदस्य बनाना चाहती थी उनमें से कुछ ने इसका हिस्सा बनने में ‘‘निजी मुश्किलें’’ जतायी हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘इसलिए वह समिति गठित करने में वक्त ले रहा है। हम अगले सप्ताह तक तकनीकी विशेषज्ञ दल के सदस्यों के नाम तय कर पाएंगे और फिर अपना आदेश देंगे।’’ 

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प्रधान न्यायाधीश ने सिंह को बताया कि वह उन्हें यह बता रहे हैं क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पिछले कुछ दिनों से अदालतों में नहीं आ रहे हैं। इस पर सिंह ने पीठ को बताया, ‘‘मैं सिब्बल को सूचित कर दूंगा।’’ न्यायालय ने 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह कुछ दिनों में फैसला सुनाएगा और उसने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि अगर सरकार ने विस्तारपूर्वक हलफनामा दाखिलकरने के बारे में पुन: विचार किया है तो वह इस मामले को रखे। 

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न्यायालय ने कहा था कि वह केवल यह जानना चाहता है कि केंद्र ने नागरिकों की कथित तौर पर जासूसी करने के लिए गैरकानूनी तरीकों से पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं। केंद्र ने जासूसी विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से ²ढ़तापूर्वक इनकार कर दिया था। पेगासस विवाद में निजता के उल्लंघन को लेकर पत्रकारों और अन्य द्वारा उठायी गयी चिंताओं का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा था कि वह उनकी याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित करेगा। साथ ही उसने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को जाने में इच्छुक नहीं है।  

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केंद्र ने कहा था कि वह यह जानने के लिए विस्तारपूर्वक हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहता कि कोई खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया या नहीं क्योंकि यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है और यह ‘‘वृहद राष्ट्रीय हित’’ में नहीं होगा। विधि अधिकारी ने दलील दी थी कि इसका खुलासा करना कि देश कोई खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा है या नहीं, इससे ‘‘नुकसान’’ हो सकता है और आतंकवादी समूह समेत सभी संभावित खतरे सतर्क हो सकते हैं। 

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स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाएं उन खबरों से संबंधित हैं जिसमें सरकारी एजेंसियों पर कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी करने का आरोप है। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने खबर दी थी कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए जासूसी की संभावित सूची में 300 से अधिक पुष्ट भारतीय मोबाइल फोन नंबर थे। 

 

 

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