Tuesday, Sep 26, 2023
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पीरियड्स में साफ-सफाई ही नहीं, वेस्ट मैनेजमेंट पर भी होेने चाहिए चर्चा

  • Updated on 5/28/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  पीरियड्स हमारे देश में हमेशा की तरह एक टैबू की तरह रहे है लेकिन 7 से 10 सालों में लोगों ने इस पर खुलकर बात करनी शुरु कर दी है। पहले इस पर बात करने में भी खुद लड़कियां हिचकती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है। कुछ परिवारों में इसको लेकर खुलकर बात होने लगी है। 

इसके बाद पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान का रखने को लेकर खुलकर बात होने लगी और सरकार इसपर बड़े-बड़े कैंपे चलाकर लोगों का जागरुक करने लगी। इसके साथ ही साफ पानी, साफ शौचालय और चेंजिंग रुम को लेकर चर्चा हुई।

लेकिन अब इन सबके बीच पीरियड्स के समय इस्तेमाल किए हुए सैनेटरी पैड्स को सही तरह से नष्ट करने को लेकर विमर्श होने लगा है और इस बार सही तरीका क्या है, इसको लेकर कई तकनीकों और जागरुकता पर बात होने लगी है।

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National Family Health Survey के मुताबिक भारत के शहरी इलाकों में 78 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 48 प्रतिशत महिलाएं सैनीटरी पैड्स का इस्तेमाल करने लगी हैं। ऐसे में सालाना 1,13,000 टन वेस्ट निकलता है, जिसको लेकर सरकार के पास कोई खास योजना नहीं है।

इस कचरे से कैसे निपटा जाए कोई पुख्ता मैनेजमेंट अभी तक सामने नहीं आया है। ऐसे में इससे कैसे निपटा जाए ये भी एक बड़ी समस्या  बन गई है। अब ये जरुरी हो गया है कि सरकार menstrual hygiene management के साथ-साथ menstrual waste management को लेकर भी कोई ठोस कदम उठाएं क्योंकि आने वाले समय में इस वेस्ट में इजाफा ही होने वाला है।

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