Saturday, Dec 09, 2023
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मस्जिद ढहाए जाने पर पर्सनल लॉ बोर्ड, वक्फ बोर्ड की न्यायिक जांच की मांग

  • Updated on 5/18/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में स्थित एक सदी पुरानी मस्जिद को कथित रूप से ढहाये जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को सरकार से इस वारदात के जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनिर्माण की मांग की। 

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान जारी कर कहा, 'बोर्ड ने इस बात पर नाराजगी का इजहार किया है कि रामसनेहीघाट तहसील में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी औचित्य के सोमवार रात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया है।' उन्होंने कहा 'यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इसका इंद्राज भी है। इस मस्जिद के सिलसिले में किसी किस्म का कोई विवाद भी नहीं है। मार्च के महीने में रामसनेहीघाट के उप जिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद के आराजी से संबंधित कागजात मांगे थे। इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और अदालत ने समिति को 18 मार्च से 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने की मोहलत दी थी, जिसके बाद एक अप्रैल को जवाब दाखिल कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद बगैर किसी सूचना के एकतरफा तौर पर जिला प्रशासन ने मस्जिद शहीद करने का जालिमाना कदम उठाया है।' 

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मौलाना सैफुल्लाह ने बयान में कहा Þहमारी मांग है कि सरकार उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश के जरिए इस वाकये की जांच कराए और जिन अफसरों ने यह गैरकानूनी हरकत की है उनको निलंबित किया जाए। साथ ही मस्जिद के मलबे को वहां से हटाने की कार्रवाई को रोककर और ज्यों की त्यों हालत बरकरार रखे। मस्जिद की जमीन पर कोई दूसरी तामीर करने की कोशिश न की जाए। यह हुकूमत का फर्ज है कि वह इस जगह पर मस्जिद तामीर कराकर मुसलमानों के हवाले करे।' इस बारे में जिलाधकारी आदर्श सिंह, पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद और उप जिला अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। 

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इस बीच, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने एक बयान में कहा 'प्रशासन ने खास तौर पर रामसनेहीघाट के उप जिलाधिकारी द्वारा अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर तहसील परिसर के पास स्थित 100 साल पुरानी एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया है। मैं इस अवैध और मनमानी कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं।' उन्होंने कहा 'यह कार्रवाई न सिर्फ कानून के खिलाफ है बल्कि शक्तियों का दुरुपयोग भी है। साथ ही उच्च न्यायालय द्वारा गत 24 अप्रैल को पारित आदेश का खुला उल्लंघन है। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उस मस्जिद की बहाली, घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय में जल्द ही मुकदमा दायर करेगा।' 

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समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना अयाज अहमद ने भी दावा किया कि रामसनेही घाट स्थित गरीब नवाज मस्जिद को ढहा दिया गया है। उन्होंने एक बयान में कहा, 'यह अत्यंत शर्मनाक घटना है। बाराबंकी हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र रहा है। पुलिस प्रशासन ने सोमवार रात कोरोना कर्फ्यू की आड़ में रामसनेहीघाट की गरीब नवाज मस्जिद को शहीद कर दिया है। यह मस्जिद वक्फ बोर्ड में दर्ज है और यह आजादी से पहले की बनी है।' अहमद ने कहा 'हम प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि मस्जिद को दोबारा बनाया जाए और उप जिलाधिकारी को निलंबित करके मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।'

 

 

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