Friday, Sep 29, 2023
-->
petition against insolvency amendment ordinance court seeks reply from modi bjp govt rkdsnt

दिवाला संशोधन अध्यादेश के खिलाफ याचिका, कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा जवाब

  • Updated on 7/28/2020


नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन करने वाले अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को केन्द्र सरकार से जवाब मांगा। इस अध्यादेश के जरिये 25 मार्च 2020 को अथवा इसके बाद सामने आने वाले डिफाल्ट मामलों में आईबीसी के तहत कार्रवाई को छह माह के लिये निलंबित किया गया है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुये सरकार ने यह कदम उठाया। 

हरीश रावत बोले- राहुल गांधी को संभालनी चाहिए कांग्रेस की कमान

मुख्य न्यायधीश डी एन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने याचिका को लेकर विधि मंत्रालय और भारतीय दिवाला एवं रिणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) से 31 अगस्त तक जवाब देने को कहा है। याचिका में आईबीसी कानून में अध्यादेश के जरिये किये गये संशोधन को हटाने की मांग की गई है।      केन्द्र सरकार के अधिवक्ता अमित महाजन ने मंत्रालय की तरफ से पेश होकर याचिका का विरोध करते हुये कहा कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। महाजन ने कहा कि याचिकाकर्ता, राजीव सूरी, यह बताने में असफल रहे हैं कि इस जनहित याचिका को दायर करने से उनका क्या लेना देना है। 

कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने राम मंदिर की मूर्तियों को लेकर दिए खास सुझाव

राजीव सूरी ने इस याचिका को वकील शिव कुमार सूरी और सिखिल सूरी के जरिये दायर किया है। याचिका में आईबीसी के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया को निलंबित करने वाले अध्यादेश को ‘‘अतार्तिक, मनमना, अनुचित और दुर्भावनापूर्ण’’ बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यह प्रावधान कार्पोरेट आवेदाकों को उनके सांविधिक अधिकारी से वंचित करता है। 

भाकपा सांसद बोले- अयोध्या में धार्मिक समारोह का दूरदर्शन पर नहीं हो प्रसारण

याचिका में कहा गया है कि व्यवसायों के लिये चल रहे इस मुश्किल समय में आईबीसी कानून की धारा 10 (यह धारा दिवाला कार्रवाई शुरू करने से संबंधित है) को निलंबति किया जाना विवेकहीन, अताॢकक और अन्यायपूर्ण है।’’ इसमें कहा गया है कि आईबीसी की धारा 10 को निलंबित करने से कंपनियां परिसमापन को मजबूर होंगी, इसका उद्यमिता पर बुरा असर होगा और संहिता का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकेगा। 

भाजपा नेता ने अच्छी बारिश के लिए की गधे की सवारी, कांग्रेस ने उठाए सवाल

याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश निरस्त किया जाना चाहिये क्योंकि यह स्पष्ट रूप से इकतरफा है और यह संविधान के तहत दिये गये समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। पांच जून को जारी आईबीसी संशोधन अध्यादेश में कहा गया है कि 25 मार्च और उसके बाद से बैंक कर्ज का नियमित किस्त के अनुरूप भुगतान करने में असफल रहने पर कर्जदार के खिलाफ दिवाला एवं रिणशोधन कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जायेगी। 

मशहूर हस्तियों ने की प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर पुनर्विचार की गुजारिश

कार्रवाई से यह छूट छह महीने के लिये जिसे एक साल तक भी बढ़ाया जा सकता है, दी गई है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू किया था। आईबीसी कानून में यह व्यवस्था की गई है कि कोई भी बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनी के खिलाफ दिवाला कानून के तहत कार्रवाई की मांग कर सकता है। 

कोरोना से निपटने के लिए बंगाल की पूरी बकाया राशि दे मोदी सरकार : ममता

कर्ज किस्त के भुगतान में तय समय से यदि एक दिन की भी देरी होती है तो आईबीसी के तहत दिवाला कार्रवाई का प्रावधान इसमें किया गया है। हालांकि, इसमें न्यूनतम राशि एक करोड़ रुपये तय की गई है जो पहले एक लाख रुपये रखी गई थी। सरकार ने कोरोना वायरस के मौजूदा दौर में कर्जदारों को राहत पहुंचाने के लिये अध्यादेश जारी कर आईबीसी कानून में संशोधन किया है। 
 

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
comments

.
.
.
.
.