नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में आठ चरण में विधानसभा चुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने और भाजपा एवं उसके नेताओं को चुनाव प्रचार मुहिम के दौरान ‘‘जय श्री राम’’ के नारों का इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद याचिका खारिज की। पीठ ने शुरुआत में याचिकाकर्ता एवं वकील एम एल शर्मा से कहा कि वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के पास जाएं।
वह दिन दूर नहीं जब समूचा देश मोदी के नाम पर होगा : ममता बनर्जी
शर्मा ने पीठ से कहा, ‘‘मैंने एक फैसले को आधार बनाया है। यह चुनाव संबंधी याचिका नहीं है। एक दल धार्मिक नारों का इस्तेमाल कर रहा है। मुझे उच्च न्यायालय क्यों जाना चाहिए?’’ पीठ ने शर्मा से कहा, ‘‘आप अभियोग का अनुरोध कर रहे हैं। हम ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकते हैं। चुनाव संबंधी याचिका पर अभियोग का अधिकार केवल उच्च न्यायालय के पास है।’’ जब याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के 1978 के आदेश का जिक्र किया, तो पीठ ने उसे फैसले का पैरा दिखाने को कहा। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रचार मुहिम में कदाचार संबंधी यचिका की सुनवाई कर सकती है।
गृह मंत्रालय के आदेश पर NIA ने संभाली अंबानी के घर के निकट मिले वाहन मामले की जांच
शर्मा ने कहा कि मामले की सुनवाई कल यानी बुधवार को की जाए और पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे बार-बार नहीं पढ़ सकते, इसे अभी पढि़ए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ठीक है, हम आपसे सहमत नहीं हैं। याचिका खारिज की जाती है।’’ याचिका में न्यायालय से आयोग को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि वह राज्य में आठ चरण में विधानसभा चुनाव नहीं कराए, क्योंकि इससे संविधान के अनुच्छेद 14 (समता के अधिकार)और अनुच्छेद 21(जीने के अधिकार) का उल्लंघन होता है।
राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देने से मना करने पर RSS संचालित स्कूल ने नौकरी से निकाला!
निर्वाचन आयोग ने 26 फरवरी को पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में होने वाले चुनावों के लिए कार्यक्रम की घोषणा की थी। पश्चिम बंगाल में जहां 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में चुनाव होंगे वहीं तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक चरण में छह अप्रैल को चुनाव होंगे। असम में तीन चरणों में चुनाव होने हैं। याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि वह पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान कथित तौर पर धार्मिक नारे लगाने को लेकर सीबीआई को मामला दर्ज करने का निर्देश दे। याचिका में कहा गया था कि 'जय श्री राम और अन्य धार्मिक नारे लगाने से वैमनस्य फैल रहा है’’। यह भारतीय दंड संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अपराध है।
आलोचनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा - हम महिलाओं का करते हैं सर्वाधिक सम्मान
यहां पढ़े अन्य बड़ी खबरें...
किसानों ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का किया विरोध, गांव आए तो लगाए मुर्दाबाद के नारे
अभिषेक बनर्जी के घर सीबीआई, कोयला चोरी मामले में उनकी पत्नी, साली को नोटिस
Delhi-NCR में आज से चलेंगी लोकल ट्रेनें, ऐसे टिकट करनी होगी बुक
किसानों ने आंदोलन तेज करने के लिए अपने नए कार्यक्रमों का किया ऐलान
पश्चिम बंगाल : ममता सरकार ने की पेट्रोल, डीजल पर टैक्स में कमी
केरल में हिंदू युवतियों के इस्लाम में धर्मांतरण पर रिपोर्ट मंगाएंगे केरल के गवर्नर
केरल शास्त्र साहित्य परिषद ने मोदी सरकार के गौ विज्ञान को लेकर उठाए सवाल
देश भर में मनाई गई रामनवमी, मप्र में 11 लोगों की मौत, बंगाल व...
जर्मनी ने राहुल की लोकसभा से अयोग्यता पर ‘संज्ञान लिया', भाजपा और...
पूर्व लोकसेवकों ने खुले पत्र में न्यायपालिका पर कानून मंत्री रीजीजू...
क्रेडाई का रिजर्व बैंक से अनुरोध, रेपो दर में और वृद्धि न की जाए
अडाणी समूह ने तीन-चार साल में 23 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने की...
एलजी सक्सेना ने किसानों को मुफ्त बिजली बंद करने का प्रस्ताव तैयार...
ललित मोदी पर कांग्रेस का पलटवार, कहा- अब पीएम मोदी के बचाव में सामने...
मालेगांव विस्फोट: लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को आरोपमुक्त करने संबंधी...
AAP ने देश भर में शुरू किया ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ' पोस्टर अभियान
मोदी ‘सरनेम' विवाद : ललित मोदी ने दी राहुल गांधी पर ब्रिटेन में...