नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दुनियाभर में कोरोना वायरस के निदान के लिए कई देशों के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की राह पर हैं। इनमें से कई तीसरे फेज में हैं और कुछ मानव ट्रायल के लिए तैयार हैं। इसी बीच अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर जर्मन बायोटेन फर्म बायोएनटेक द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई वैक्सीन तीसरे चरण में 90 फीसदी से अधिक कारगार साबित हुई है।
सोमवार को इस बारे में कंपनियों घोषणा की। उन्होनें बताया कि शुरुआती निष्कर्षों से पता चला है कि पहली बार डोज दिए जाने के 28 दिनों के बाद और दूसरी बार दो खुराक दिए जाने के 7 दिन बाद मरीज में बड़ा सुधार देखा गया है।
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फाइजर के अध्यक्ष और सीईओ अल्बर्ट बोरला ने अपने एक बयान में कहा है कि हमारे तीसरे चरण के ट्रायल के पहले सेट में हमें कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि यह कोरोना वायरस को रोकने में अधिक प्रभावी है।
US pharmaceutical giant Pfizer and German biotech firm BioNTech said their coronavirus vaccine was more than 90% effective in preventing #COVID19 among those without evidence of prior infection: US media — ANI (@ANI) November 9, 2020
US pharmaceutical giant Pfizer and German biotech firm BioNTech said their coronavirus vaccine was more than 90% effective in preventing #COVID19 among those without evidence of prior infection: US media
दूसरी तरफ, आस्ट्रेलिया की सीएसएल लिमिटेड कंपनी ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। इस बारे में सिडनी के 2जीबी रेडियो की माने तो विक्टोरिया में सोमवार को वैक्सीन की तीन करोड़ खुराक के उत्पादन के दायरे में पहुंच गई है।
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जबकि स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हुंट ने 2जीअी को कहा, वैक्सीन लोगोंकी इच्छा से लगाया जा रहा है, लेकिन हम अधिक से अधिक लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करेंगे और हम चाहते हैं कि लोग खुद से इसका हिस्सा बनें, हमें विश्वास है कि ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या के हिसाब से हमारे पास बहुत अधिक मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध हैं।
वहीं, अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की एक दमदार वैक्सीन बनाने का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल सफलतापूर्वक जानवरों पर किया जा चुका है। इस वैक्सीन बनाने वाले शोधकर्ताओं में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के शोधकर्ता भी शामिल हैं। इस रिसर्च को सेल नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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इन रिसर्चर का दावा है कि यह वैक्सीन इतनी दमदार है कि यह लोगों के शरीर में वायरस से लड़ने के लिए कई गुना अधिक एंटीबॉडी बनाती है। इस वैक्सीन को बनाने में नैनो पार्टिकल्सि (अति सूक्ष्म कण) का इस्तेमाल किया गया है। जानवरों पर इसका सफल परीक्षण होने के बाद इसके इंसानी नतीजों के लिए उम्मीद जताई जा रही है।
इस वैक्सीन के जानवरों पर किए गए परिक्षण में चूहों को यह वैक्सीन दी गई थी। कोरोना से ग्रस्त चूहों को जब यह वैक्सीन दी गई तब वैज्ञानिकों ने यह देखा कि यह चूहे किसी कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति की तुलना में अधिक एंटीबाडी बना रहा था। यानी चूहे की बॉडी में किसी कोरोना रिकवर व्यक्ति की बॉडी की तुलना में कई गुना ज्यादा न्यूाट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज विकसित हुआ।
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