नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने गुरुवार को कहा कि कंपनी स्थानीय कानूनों का पालन करने के लिए और सरकारों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकारें तेजी से विकसित हो रहे प्रौद्योगिकी क्षेत्र से तालमेल बैठाने के लिए नियामक ढांचे बनाती हैं। पिचाई ने एशिया प्रशांत क्षेत्र के चुनिंदा पत्रकारों के साथ एक आभासी सम्मेलन में कहा, यह स्पष्ट रूप से शुरुआती दिन हैं और हमारे स्थानीय दल बहुत व्यस्त हैं। हम हमेशा हर देश में स्थानीय कानूनों का सम्मान करते हैं और हम रचनात्मक रूप से काम करते हैं। हमारे पास स्पष्ट पारर्दिशता रिपोर्ट है, जब हम सरकारी अनुरोधों का अनुपालन करते हैं, तो हम इसका उल्लेख अपनी पारर्दिशता रिपोर्ट में करते हैं। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र और खुला इंटरनेट बुनियादी बात है और भारत में इसकी लंबी परंपराएं हैं।
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विधायी प्रक्रियाओं का सम्मान करती है कंपनी उन्होंने कहा, एक कंपनी के रूप में हम स्वतंत्र और खुले इंटरनेट के मूल्यों और इससे होने वाले लाभों के बारे में स्पष्ट रूप से जानते हैं और हम इसकी वकालत करते हैं, और हम दुनिया भर के नियामकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ते हैं, हम इन प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं। पिचाई ने आगे कहा कि कंपनी विधायी प्रक्रियाओं का सम्मान करती है, और जिन मामलों में उसे पीछे हटने की जरूरत होती है, वह ऐसा करती है।
अनुपालन रिपोर्ट मांग रही है सरकार सरकार ने नए डिजिटल नियमों का पूरी निष्ठा के साथ बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और वाट्सऐप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नये नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। वाट्सऐप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है। वाट्सऐप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जायेगा। नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी।
सोशल मीडिया कंपनियों को खोना पड़ सकता है इंटरमीडिएरी दर्जा इस नए नियम के तहत वाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं। नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।
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