Monday, Mar 27, 2023
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मां के दूध में भी पहुंच गया प्लास्टिक, शिशुओं पर असर की आशंका 

  • Updated on 10/21/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पहली बार महिलाओं के स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक (प्लास्टिक के अतिसूक्ष्म कण) पाया गया है। शोधकर्ताओं ने इसका चिंताजनक प्रभाव शिशुओं की सेहत पर पड़ने की आशंका जताई है। 

इटली की राजधानी रोम में उन स्वस्थ 34 महिलाओं के स्तन दूध के सैंपल लिए गए, जो एक सप्ताह पहले ही मां बनी थीं। इनमें से 75 फीसद सैंपलों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी पाई गई। पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए फूड चेन में शामिल प्लास्टिक के इससे पहले मनवीय कोशिकाओं और समुद्री जीवों के शरीर में पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है मगर यह पहला मौका है जब मां के दूध में भी माइक्रो प्लास्टिक पाया गया है। हालांकि प्लास्टिक को लचीला बनाने के लिए मिलाए जाने वाला हानिकारक रसायन थैलेट पहले भी ब्रेस्ट मिल्क में पाया जा चुका है।  

प्लास्टिक ऐसे पहुंच रहा मां के दूध में : शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया वे सभी प्लास्टिक पैकेजिंग में मिलने वाले खाने और सीफूड का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। इसके साथ ही उन्होंने सचेत किया कि हमारे पर्यावरण में प्लास्टिक की मौजूदगी इतनी बढ़ गई है कि उससे इंसान को बचा पाना मुश्किल हो गया है। इस माइक्रोप्लास्टिक की शरीर में मौजूदगी के क्या खतरे हैं, इनका पता भविष्य में बड़े पैमाने पर होने वाले अध्ययनों से चलेगा।

प्लास्टिक के ये घटक मिले

जर्नल पॉलिमर्स में प्रकाशित शोध के अनुसार मां के दूथ में माइक्रोप्लास्टिक के जिन कणों की मौजूदगी पाई गई है उनमें पॉलीथीन, पीवीसी और पोलीप्रोपेलीन है। ये सभी पैकेजिंग में काम आते हैं। शोधकर्ता 2 माइक्रोन से छोटे प्लास्टिक कणों का अध्ययन नहीं कर पाए हैं, इसलिए संभावना है कि वे और ज्यादा मात्रा में उपलब्ध हों। स्तन दूध की सैंपलिंग में प्लास्टिक का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया था। 

गर्भनाल में भी मिल चुकी है प्लास्टिक 

इटली के एंकोना स्थित यूनिवर्सिटा पोलिटेक्निका डेले मार्के की प्रोफेसर डॉ. वालनटीना नोटाास्र्टफानो के अनुसार शोधकर्ताओं ने दो साल पहले गर्भनाल में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी चिन्हित की थी। अब उसका मां के दूध में भी पाया जाना चिंताजनक है खासकर शिशुओं के लिए। 


सावधानी जरूरी

डॉ वालनटीना के अनुसार इस खतरे को कम करने का एक ही तरीका है कि प्लास्टिक एक्सोपजर कम किया जाए। खासकर गर्भावस्था और स्तनपान की पूरी अवधि में माताएं प्लास्टिक पैकेजिंग में खानपान को कम करें। इस संबंध में लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है। यह भी पाया गया है कि प्लास्टिक की बोतल में दूध पीने वाले शिशु रोज माइक्रोप्लास्टिक के लाखों कण गटक जाते हैं। गाय के दूध तक में माइक्रोप्लास्टिक पहुंच गया है। 

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