नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स)। मध्य प्रदेश के किसान सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कही गई बातों को किसान नेताओँ ने झूठ करार दिया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गन्ना किसानों को दी गई मदद, कानूनों पर किसानों से चर्चा और एमएसपी पर दलहन, धान खरीद का दावा पूरी तरह झूठ है। वहीं सिंघू बॉर्डर से संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चे ने आरोप लगाया कि किसानों की मांगों को सुलझाने की बजाए प्रधानमंत्री भाजपा बनाम विपक्ष की राजनीति कर रहे हैं। वे देश के प्रधानमंत्री की बजाए एक दल के नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
मोदी सरकार का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट : प्रधानमंत्री आवास में होंगी 10 इमारतें पीएम के संबोधन के बाद मीडिया से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि गन्ना किसानों का शुगर मिलों पर करोड़ों रुपये बताया है। उसका भुगतान शुगर मिलों को करना है। अगर सरकार उसे दे रही है तो यह मदद शुगर मिलों को मिल रही है न कि किसानों को। सरकार अगर इसे इंसेंटिव के रूप में देती तब किसानों को कोई लाभ होता। टिकैत ने कहा कि मोदी जी भंडारण हेतु ढांचे की बात कर रहे हैं, लेकिन अपील कॉरपोरेट से कर रहे हैं। इसका मतलब मोदी जी किसान को नहीं, एग्री बिजनेस को बढ़ावा दे रहे हैं।
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खेती के निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवरत्न कंपनियों का निजीकरण करने के बाद मोदी जी की निगाह खेती के निजीकरण पर है। टिकैत ने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का दावा भी सरासर झूठ है।
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उन्होंने बताया कि स्वामीनाथ कमेटी की सिफारिश में लागत में सी2 और 50 प्रतिशत जोड़ कर देने की बात है। मोदी सरकार ने चालाकी दिखाकर फारमूला बदलकर ए2 और एफएल दिया है। जिससे किसानों का हक मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें 500 रुपये महीना की भीख नहीं, समर्थन मूल्य का हक चाहिए। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रावधान किसानों की सुरक्षा के लिए नहीं, व्यापारी के लिए है।
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वहीं संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा (एआईकेएससीसी) ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के किसानों के खिलाफ खुला हमला करते हुये यह दावा किया है कि उनका संघर्ष विपक्षी पार्टियों से जुड़ा हुआ है। किसानों की मांगों को सुलझाने की बजाए प्रधानमंत्री ने अपनी हैसियत एक पार्टी नेता की बना दी है और देश के जिम्मेदार कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका का अपमान किया है।
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खेती की अधिरचना में कॉरपोरेट के निवेश को बढ़ावा देने के लिए उनकी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किया है। जबकि सरकार को खुद या सहकारी क्षेत्र द्वारा ये सुविधाएं देनी चाहिए। प्रधानमंत्री को जानकारी होनी चाहिए कि जहां धान का एमएसपी 1870 रुपये है, वहां किसान को उसे 900 रुपये पर बेचने के लिए मजबूर हैं।
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