नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन की स्थिति और वहां से भारतीय नागरिकों को निकालने के देश के प्रयासों पर चर्चा के लिए शनिवार शाम एक और उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। यह जानकारी सूत्रों ने दी। प्रधानमंत्री मोदी रविवार से ऐसी कई बैठकों की अध्यक्षता कर चुके हैं। केंद्र सरकार उन भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए प्रयासरत है जो यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां से निकलना चाहते हैं।
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मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके कैबिनेट सहयोगी पीयूष गोयल के अलावा कई शीर्ष नौकरशाह शामिल हुए। भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए ‘‘ऑपरेशन गंगा’’ शुरू किया है और इस कवायद के समन्वय के लिए चार केंद्रीय मंत्रियों को प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा है।
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भारत ने शनिवार को कहा कि उसका मुख्य ध्यान यूक्रेन के पूर्वी शहर सूमी में फंसे लगभग 700 भारतीय छात्रों को निकालने पर है, जहां हवाई हमले हो रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेसवार्ता में कहा कि भारत अगले कुछ घंटों में खारकीव और पिसोचिन से अपने नागरिकों को निकालने की उम्मीद करता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मुख्य ध्यान अब भारतीय छात्रों को सूमी से निकालने पर है। हम उन्हें निकालने के लिए कई विकल्प तलाश रहे हैं।’’ रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू किया था।
हम कोई कसर नहीं छोडेंगे : यूक्रेन में भारत के राजदूत यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सतपति ने शनिवार को कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के सूमी शहर में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने इस कठिन समय में भारतीयों द्वारा प्रर्दिशत किये गये अद्वितीय साहस की सराहना भी की। सतपति ने एक संदेश के रूप में यह टिप्पणी की, जो सूमी में फंसे भारतीय छात्रों द्वारा जारी एक वीडियो के बाद आई है। वीडियो में कहा गया था कि उन लोगों ने रूसी सीमा की ओर बढऩे का फैसला किया है और यदि उनके साथ कोई हादसा होता है तो उसके लिए भारत सरकार और यूक्रेन का भारतीय दूतावास जिम्मेदार होगा।
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दूतावास के आश्वासन के बाद छात्रों ने यूक्रेन के पूर्वी शहर सूमी को नहीं छोड़ा है। यह शहर दोनों देशों (रूस और यूक्रेन) के सैनिकों के बीच घमासान युद्ध का गवाह बन रहा है। सतपति ने कहा, ‘‘पिछले दो सप्ताह हम सभी के लिए डरावने और चुनौतीपूर्ण रहे हैं। हममें से शायद ही कोई इस तरह के दर्द और विनाश के मंजर का गवाह बना हो।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे भारतीय नागरिकों, खासकर युवाओं की परिपक्वता और साहस पर गर्व है कि वे इस कठिन समय में बहादुरी के साथ वहां रुके हुए हैं।’’उनका यह संदेश कीव में भारतीय दूतावास द्वारा ट्विटर पर जारी किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दूतावास भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ेगा। मैं जानता हूं कि हमारे विद्यार्थियों ने इस कठिन समय में जो साहस और संकल्प प्रर्दिशत किया है, उसका कोई सानी नहीं है।’’
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