नई दिल्ली/टीम डिजिटल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा को भारत और मध्य एशिया के देशों के लिए एकसमान ‘चिंता का विषय’ करार दिया और बृहस्पतिवार को कहा कि सुरक्षा और समृद्धि के उद्देश्य को हासिल करने के लिए भारत और मध्य एशिया के देशों का आपसी सहयोग अनिवार्य है।
डिजिटल माध्यम से पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हुए अपने आरंभिक संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि एक समन्वित और स्थिर विस्तारित पड़ोस के लिए मध्य एशिया, भारत के ‘विजन’ का केंद्र है। इस शिखर सम्मेलन में कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जुमरात तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव, ताजकिस्तान के राष्ट्रपति इमामअली रहमान, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहम्मदेवो और किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सद्र जापारोप ने भाग लिया।
अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए हम सभी की चिंता और उद्देश्य एक समान हैं। अफगानिस्तान के घटनाक्रम से हम सभी चिंतित हैं। इस संदर्भ में भी हमारा आपसी सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए और महत्वपूर्ण हो गया है।’ ज्ञात हो कि अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार क्षेत्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाता रहा है और इस बात पर जोर देता रहा है कि किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।
भारत का जोर अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने पर भी रहा है। तालिबान के नियंत्रण के बाद अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहरा गया है। समय- समय पर इसकी झलक भी विभिन्न माध्यमों से दुनिया के सामने आती रही हैं। सम्मेलन में मध्य एशिया के देशों के बीच रिश्तों को नयी ऊंचाई प्रदान करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और क्षेत्रीय सुरक्षा के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मध्य एशिया के देशों के कूटनीतिक संबंधों ने 30 ‘सार्थक वर्ष’ पूरे कर लिए हैं और पिछले तीन दशकों में आपसी सहयोग ने कई सफलताएं भी हासिल की है।
उन्होंने कहा कि आज यह रिश्ते अब इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गए हैं कि सभी को आने वाले सालों के लिए एक महत्वाकांक्षी दूरदृष्टि परिभाषित करनी चाहिए और वह दूरदृष्टि ऐसी हो, जो बदलते विश्व में लोगों की, विशेषकर युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। द्विपक्षीय स्तर पर मध्य एशिया के सभी देशों के साथ भारत के संबंधों की घनिष्ठता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कजाकिस्तान जहां भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बन गया है, वहीं उज्बेकिस्तान के साथ उनके गृह राज्य गुजरात सहित भारत के विभिन्न राज्यों की सक्रिय भागीदारी भी है।
उन्होंने कजाकिस्तान में हाल में हुई जान- माल की हानि पर भी संवेदना प्रकट की। ईंधन की कीमतों को लेकर वहां हाल ही में प्रदर्शन हुआ था, उसने हिंसात्मक रुख अख्तियार कर लिया था। उन्होंने कहा, ‘किर्गिस्तान के साथ हमारी शिक्षा और उच्च स्तरीय शोध के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी है। हजारों भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे हैं जबकि ताजिकिस्तान के साथ हमारा सुरक्षा के क्षेत्र में पुराना सहयोग है और हम इसे निरंतर और अधिक सुदृढ़ कर रहे हैं।
इसी प्रकार, तुर्कमेनिस्तान क्षेत्रीय संपर्क के क्षेत्र में भारतीय विजन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो अश्गाबात समझौते में हमारी भागीदारी से स्पष्ट है।’ सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला उद्देश्य स्पष्ट करता है कि भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, ‘भारत की तरफ से मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि मध्य एशिया भारत के एक समन्वित और स्थिर विस्तारित पड़ोस के लिए भारत के ‘विजन’ का केंद्र है।’ उन्होंने कहा कि दूसरा उद्देश्य आपसी सहयोग को एक प्रभावी ढांचा देना है।उन्होंने कहा, ‘इससे विभिन्न स्तरों पर और विभिन्न हितधारकों के बीच नियमित संवाद का एक ढांचा स्थापित होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरा उद्देश्य आपसी सहयोग के लिए एक महत्वकांक्षी रूपरेखा तैयार करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके माध्यम से ही हम अगले तीन सालों में क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग के लिए एक समन्वित रुख अपना सकेंगे।
इस अवसर पर सम्मेलन में शामिल पांच राष्ट्रपतियों ने सम्मेलन की मेजबानी के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की और कहा कि कूटनीतिक संबंधों की 30वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह वार्ता कूटनीतिक रिश्तों को नयी ऊंचाई पर ले जाएगा। भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच शीर्ष नेताओं के स्तर पर इस तरह का यह पहला संवाद था। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के बढ़ते संपर्क को प्रतिबिंबित करती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में मध्य एशियाई देशों का पहला ऐतिहासिक दौरा किया था। इसके बाद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर संवाद होता रहा है। पिछले साल 18-21 दिसंबर को विदेश मंत्रियों के स्तर पर भारत-मध्य एशिया संवाद का आयोजन नयी दिल्ली में हुआ जिससे भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संबंधों को गति मिली।
इससे पहले, 10 नवंबर, 2021 को नयी दिल्ली में अफगानिस्तान के संदर्भ में क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद का आयोजन हुआ जिसमें मध्य एशियाई देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के सचिवों ने भाग लिया।
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