नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारतीय समुद्री शिखर सम्मेलन (MIS) का दूसरा संस्करण 2 मार्च से 4 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। इसमें 24 साथी देशों के लगभग 20,000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस मौके पर 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया जाएगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 2 मार्च को करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने औद्योगिक साझेदार के रूप में फिक्की और ज्ञान साझेदार के रूप में ईवाई के साथ मिलकर किया है।
सम्मेलन अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए मजबूत मंच केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री मनसुख मांडविया ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय समुद्री शिखर सम्मेलन अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए मजबूत मंच उपलब्ध करवाएगा और साझेदार देशों को ज्ञान और अवसरों के आपसी आदान-प्रदान के लिए साथ लेकर आएगा।
बता दें कि इस समय देश में किसान आंदोलन को लेकर स्थिति बिगड़ी हुई है। ये मुद्दा विदेशों तक जा पहुंचा है। वहीं इसी बीच केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 71वें दिन से जारी है। भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कई विदेशी हस्तियों ने टिप्पणी की है। इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भी किसान प्रदर्शन को लेकर अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को एक सफल लोकतंत्र की पहचान बताते हुए अमेरिका ने कहा कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षित होगा।
किसान आंदोलन पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी।' प्रवक्ता ने यह संकेत दिया कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है जिससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी। भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है।
'शांतिपूर्ण प्रदर्शन सफल लोकतंत्र की पहचान' प्रवक्ता ने कहा, 'हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है।' भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक 'सुधारवादी कानून' पारित किया है, जिस पर 'किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग' को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है। इस बीच, कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है।
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