नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। साल 2020 में रामनगरी अयोध्या (Ayodhya) में रामकथा का एक नया अध्याय लिखा गया जब पांच सदी तक प्रतीक्षा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 5 अगस्त 2020 को अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के साथ ही आधार शिला भी रखी। अयोध्या नगरी में 492 वर्ष तक अपने ही आंगन में जगह पाने के लिए रामलला पांच सदी तक प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन साल 2020 में रामभक्तों की अग्निपरीक्षा सफल रही और श्रीराम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए आधार शिला रखी गई।
पीएम मोदी ने आधार शिला को बताया स्वतंत्रता दिवस जैसा पीएम मोदी ने इससे पहले अयोध्या हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रभु राम के भक्त हनुमान जी के दर्शन किए थे, और अपने संबोधन में कहा कि राम सभी के हैं। वह सभी का मन में बसते हैं। उन्होंने इस दिन को स्वतंत्रता दिवस जैसा बताया और कहा कि अस्तित्व मिटाने का बहुत प्रयास हुआ लेकिन जैसे देश की स्वतंत्रता के लिए पीढ़ियों से अपना सबकुछ समर्पित किया, वैसे ही कई सदियों और पीढ़ियों ने राममंदिर के लिए प्रयास किया और रामजन्मभूमि मुक्त हुई। यह दिन सत्य, अहिंसा और न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है। यह मंदिर तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक बनेगा। शाश्वत मंदिर आस्था और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा।
लखनऊ में हुई आतिशबाजी श्रीराम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन और आधार शिला के बाद रामनगरी समेत पूरे प्रदेश दीपोत्सव मनाया गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आतिशबाजी की और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या में सरयू तट आरती में शामिल हुए। वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर दीप जलाए और आतिशबाजी की।
500 वर्ष पहले गिराया गया अयोध्या राम मंदिर दरअसल मान्यता है कि करीब 500 वर्ष पहले अयोध्या में राम मंदिर गिराकर, मुगल शासक बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने वहां मस्जिद बनवाया था। साल 1528 के आसपास बनी इस मस्जिद को बाबरी मस्जिद के नाम से जाना गया। यहीं से राम जन्मभूमि को लेकर विवाद की शुरूआत हुई। इसके बाद साल 1986 में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिन्दुओं के अनुरोध पर विवादित स्थल के दरवाजे प्रार्थना के लिए खुलवा दिए, लेकिन मुसलमानों ने इसका विरोध किया और उन्होंने बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति बना ली।
1989 में भी हुआ था शिलान्यास यहीं से हिंदू भी राम मंदिर निर्माण के लिए एकजुट हुए और राम मंदिर की मांग करने लगे। राम मंदिर की मांग में सबसे अहम समय साल 1989 का रहा, जब विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में हजारों हिंदू कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में विवादित स्थल के पास राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया। इसके बाद से अयोध्या विवाद देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया था। अतत: साल 2020, 5 अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधार शिला के साथ ही राम भक्तों का समना पूरा हुआ।
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