Sunday, Jun 04, 2023
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'पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय की जयंती आज, PM मोदी ने किया याद

  • Updated on 1/28/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पंजाब (Punjab) के शेर और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाले मुख्य क्रांतिकारियों में से एक लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) की आज जयंती है। स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन।' आज ही के दिन 1865 में पंजाब में जन्में लाला लाजपत राय को 'पंजाब केसरी' और 'पंजाब के शेर' की उपाधि मिली थी।

बता दें कि लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को फिरोजपुर पंजाब में हुआ था। लाला लाजपत राय पंजाब केसरी के नाम से भी विख्यात थे। लाला लाजपत राय ने बहुत से क्रांतिकारियों को प्रभावित किया उन्हीं में से एक थे भगत सिंह। वर्ष 1928 में साइमन कमीशन के विरुध प्रदर्शन के दौरान लाठी-चार्ज में बुरी तरह घायल होने के बाद 17 नवंबर वर्ष 1928 में उनका निधन हो गया। 

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क्यों लाला लाजपत राय को कहा जाता था पंजाब केसरी 
दरअसल जब भी वो बोलते थे तो केसरी की ही तरह उनका स्वर गूंजता था। जिस प्रकार केसरी की दहाड़ से वन्यजीव डर जाते हैं, उसी प्रकार से लाला लाजपत राय की गर्जना से अंग्रेज सरकार कांप उठती थी। 

लाला लाजपत राय का जीवन  
उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे। उनकी माता गुलाब देवी धार्मीक प्रवृत्ति की महिला थीं। 1884 में उनके पिता का रोहतक ट्रांसफर हो गया और वो भी पिता के साथ रहने के लिए आ गए। 1877 में राधा देवी से उनकी शादी हुई। 

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शिक्षा 
उनके पिता राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रेवाड़ी में शिक्षक थे। वहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की।  1880 में उन्होंने लॉ की पढ़ाई के लिए लाहौर स्थित सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। 1886 में उनका परिवार हिसार आ गया यहीं उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस की। 1888 और 1889 के नैशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दैरान उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा लिया। हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए 1892 में वो लाहौर चले गए। 

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राजनीतिक जीवन 
वर्ष 1885 में उन्होंने सरकारी कॉलेज से द्वितीय श्रेणी में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और हिसार में अपनी वकालत शुरू कर दी। वकालत के अलावा लालाजी ने दयानन्द कॉलेज के लिए धन एकत्र किया, आर्य समाज के कार्यों और कांग्रेस की गतिविधियों में भाग लिया। वह हिसार नगर पालिका के सदस्य और सचिव चुने गए। वह 1892 में लाहौर चले गए।

लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन प्रमुख नेताओं में से एक थे। लाल-बाल-पाल इस तिकड़ी का हिस्सा थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल इस तिकड़ी के दूरसे दो सदस्य थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरम दल (जिसका नेतृत्व पहले गोपाल कृष्ण गोखले ने किया) का विरोध करने के लिए गरम दल का गठन किया।

लालाजी ने बंगाल के विभाजन के खिलाफ हो रहे आंदोलन में भी हिस्सा लिया। उन्होंने सुरेंद्र नाथ बैनर्जी बिपिन चंद्र पाल और अरविन्द घोष के साथ मिलकर स्वदेशी के सशक्त अभियान के लिए बंगाल और देश के दूसरे हिस्से में लोगों को एकजुट किया। 

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लाला लाजपत राय के भाई ने दो साल में ही दे दिया था बैंक से इस्तीफा
ये बाद है साल 1895 की जब लाला लाजपत राय के भाई दलपत राय ने पंजाब नेशनल बैंक ज्वाइन किया। लेकिन नौकरी के दो साल बाद ही साल 1897 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दलपत राय का ये फैसला सभी को चौंका गया। आखिरकार इसके कुछ समय बाद लाला लाजपत राय ने एक खुला पत्र लिखा जिसमें उन्होंने देश के इस दूसरे सबसे बड़े बैंक की पोल खोल दी। लाला लाजपत राय द्वारा किये गए इस खुलासे ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया।

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लाला लाजपत राय के खुले पत्र ने हिला दिया था पूरा देश
अपने इस पत्र में लाला लाजपत राय ने लिखा कि 'मेरे भाई ने सचिव के रूप में हरकिशन लाल के आदेश पर एक ऐसा काम किया था जिसमें एक और निदेशक का भी हाथ था। इस लेनदेन ने बैंक को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया जिसके बाद बोर्ड ने बैंक के मैनेजर को अपना स्पष्टीकरण लाला हरकिशन लाल को देने को कहा। जब मेरे भाई नेलाला हरकिशन लाल को उनके ही द्वारा हस्ताक्षर किए गए निर्देशों को दिखाया तो उन्होंने इन निर्देशों को नष्ट करने को कहा। जब मेरे भाई ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो हरकिशन लाल की नाराजगी के तौर पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।' 

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