नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। इजराइल में विवादित न्यायिक सुधार योजना स्थगित किए जाने के साथ ही प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उलझे देश के राजनीतिक विपक्षियों ने बातचीत के लिए मंगलवार से दलों का गठन शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि नेतन्याहू की न्यायिक सुधार योजना का देश में अभूतपूर्व तरीके से विरोध हो रहा था और लोगों के सड़कों पर उतरने के कारण घरेलू संकट की स्थिति बनने लगी थी। लेकिन यह समझौता बेहद दुराग्रही लग रहा है और नेतन्याहू की विरासत दांव पर लगी है।
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इजराइल किस प्रकार का देश होना चाहिए इस मौलिक मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध के बीच इस समझौते से कुछ खास नहीं हुआ है और स्थितियां केवल कठोर दिखाई दे रही हैं। न्यायिक सुधार की योजना के खिलाफ पिछले तीन महीनों से हो रहा प्रदर्शन इस सप्ताह बहुत तेज हो गया, इजराइल के मुख्य ट्रेड यूनियन ने आम हड़ताल की घोषणा कर दी जिसके कारण अफरा-तफरी का माहौल बन गया और देश के ज्यादातर हिस्से बंदी की चपेट में आ गये, यहां तक कि अर्थव्यवस्था के ठप्प पड़ने का खतरा मंडराने लगा।
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नेतन्याहू ने सोमवार की रात ‘प्राइम टाइम' के अपने भाषण में स्वीकार किया कि देश में विभाजन की बातें उड़ रही हैं और इस कानून को लाने में एक महीने की देरी करने की घोषणा की। हालांकि, उसके कुछ ही घंटों के भीतर विश्लेषकों ने कहा कि शनिवार की रात रक्षा मंत्री को पद से बर्खास्त किये जाने के बाद से हंगामा बढ़ा है और नेतन्याहू की लोकप्रियता उनकी अपनी ‘लिकुड' पार्टी में भी कम हो गई है। इन घटनाओं के कारण सबसे लंबे समय तक इजराइल का शासन चलाने वाले नेतन्याहू के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। ‘इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट' के अध्यक्ष योहनान प्लेस्नेर ने कहा, ‘‘उन्होंने समझ लिया है कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।''
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उन्होंने कहा, ‘‘और बेहद अनुभवी नेतन्याहू समझ रहे हैं कि अब सुधार करने का समय है।'' प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह ‘‘गृहयुद्ध से बचना चाहते हैं'' और राजनीतिक विपक्षियों के साथ समझौता करेंगे। यरूशलम में संसद भवन के सामने हजारों लोगों के प्रदर्शन के बाद नेतन्याहू ने यह बात कही। उनकी घोषणा से महीनों से जारी तनाव और अशांति की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन इससे उन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है, जो इजराइल की जनता का ध्रुवीकरण कर रही हैं। नेतन्याहू इजराइल के इतिहास की सबसे घोर दक्षिणपंथी सरकार चला रहे हैं और उनके सहयोगियों ने इस कानून को लागू करने का संकल्प लिया है।
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तेल अवीव के निवासी फेगा गुटमैन ने मंगलवार को कहा, ‘‘मुझे राहत महसूस हो रही है, लेकिन संदेह भी है।'' उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ने पिछले वर्षों में ‘‘हमसे बहुत सारे वादे किए हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्होंने हमेशा सभी वादे पूरे नहीं किए।'' हालांकि घोषणा से इजराइल के लोगों को मिला ब्रेक उन्हें भविष्य की चुनौतियों पर विचार करने का मौका दे रहा है। तेल अवीव के ही रहने वाले माओर डैनियल ने कहा, ‘‘आज मुझे अच्छा लग रहा है, कल से सबकुछ शांत है।''
उन्होंने कहा, ‘‘हमें साथ मिलकर इस परिस्थिति से निपटने का और साथ रहने का तरीका खोजना होगा।'' नेतन्याहू ने विधेयक को लागू करने की प्रक्रिया स्थगित करते हुए कहा था, ‘‘जब बातचीत के जरिये गृह युद्ध से बचने का अवसर है, तो मैं प्रधानमंत्री होने के नाते बातचीत के लिए समय निकाल रहा हूं।'' उन्होंने 30 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के ग्रीष्मकालीन सत्र में इसपर सहमति बनाने का संकल्प लिया।
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