नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश के बैंकिग सेक्टर का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,500 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। खुद पंजाब नेशनल बैंक ने मुंबई स्थित शेयर बाजार को इसकी जानकारी दी है। इस घोटाले में बड़े हीरा कारोबारी और उद्योगपति नीरव मोदी का नाम सामने आया है। पीएनबी ने माना है कि कुछ लोगों की मिलीभगत से कुछ खातेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ये घालमेल किया गया है।
ये अपने आप का पहला केस नहीं है जहां इतना बड़ा घोटाला सामने आया हो। इसके पहले भी देश में फर्जीवाड़े करके देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई गई है। आएये जानते हैं वो कौन से बड़ें घोटाले हैं जिन्होंने देश को बड़ा चूना लगाया:
हर्षद मेहता केस
गुजरात का एक कारोबारी जिसने देश के एक सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया। 1992 में हर्षद मेहता ने अपने तेज दिमाग का इस्तेमाल करके चढ़ते हुए शेयर बाजार से हर्षद मेहता ने खूब पैसा कमाया। शेयर बाजार का यह पहला घोटाला था, जिसने लोगों को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया। इस घपले का खुलासा टाइम्स ऑफ इंडिया की वरिष्ठ पत्रकार सुचेता दलाल ने किया था। बैंकिंग सिस्टम की कमियों का फायदा उठाते हुए हर्षद मेहता ने उस दौरान शेयर बाजार में हर दिन चढ़ रहा था। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि तब आंख बंद करके किसी भी शेयर में पैसा लगाने का मतलब प्रॉफिट ही होता था। बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए ही हर्षद मेहता ने हेरफेर किया।
केतन पारेख घोटाला
हर्षद मेहता की तरह केतन पारेख घोटाला को भी देश नहीं भूल सकता। कहा जाता है कि हर्षद मेहता, केतन पारेख के मेंटर थे। उसी की तर्ज पर साल 2001 तक केतन पारेख देश का सफल ब्रोकर बन गया। हर्षद मेंहता की तरह ही केतन पारेख ने उस समय ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और माधवपुरा मर्चेंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक से पैसा लिया और के-10 स्टॉक्स के नाम से स्टॉक को मार्केट में हेरफेर किया। पारेख ने तमाम नियमों को तोड़ते हुए कई फर्जी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ा दिये थे। बाद में आई जोरदार बिकवाली से देश के लाखों निवेशकों को करोड़ों रुपए का चूना लगा। केतन पारिख पर 2017 तक शेयर मार्केट में ट्रेड करने पर बैन है, तब तक वह शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नही कर सकता।
रुप भंसाली केस
सीआरबी एक शीर्ष निवेश बैंकिंग फर्म थी जिसे सी आर भंसाली ने शुरू किया था। रूप भंसाली, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और डिबेंचर के जरिए निवेशकों से पैसा इक्टठा करते थे। ऐसी कंपनियां जिनका कोई नामो-निशान नहीं हैं उनसे पैसा उठाता था और अन्य शेल कंपनियों या उनके साथ निवेश करने वाले दूसरें लोगों को ट्रांसफर कर देता था।
सुब्रत रॉय मामला
सुब्रत रॉय मामले में सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत रॉय ने भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित अपने निवेशकों के लिए 24,000 करोड़ रुपये से अधिक हितों की वापसी नहीं की। यूपी पुलिस ने SC के वारंट पर गिरफ्तार कर लिया था और शर्त पर की उन्हें सेबी के साथ 10,000 करोड़ रुपये जमा करने होंगे। इसके बाद सेबी को 10,000 करोड़ रुपये जमा करने में विफल रहने के बाद तिहाड़ जेल भेजा दिया गया।
शारदा स्कैम
कॉरपोरेट दुनिया को हिला कर रख देने वाले सत्यम घोटाले के मुख्य अभियुक्त बी. रामलिंग राजू और उसके भाई बी. रामा राजू को सात साल सश्रम कैद की सजा हुई थी। इस घोटाले को राजू ने सत्यम घोटाले को खुद कुबूला था। रामलिंग राजू ने कुछ नेताओं से भी पैसे लिए थे और रिएल एस्टेट के बिजनेस में निवेश किए थे। हालांकि, 2009 तक उम्मीद के हिसाब से रियल एस्टेट की कीमत नहीं बढ़ी और राजू को योजनानुसार फायदा नहीं हो सका। जब राजू से 2009 में उन नेताओं ने पैसे मांगे तो पैसे राजू ने पैसे न होने की बात कह दी। अदालत ने बी. रामलिंग राजू और बी. रामा राजू के साथ सत्यम कंप्यूटर्स के वदलामणि और ऑडिट कंपनी प्राइस वाटरहाउस कूपर्स के ऑडिटरों सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी. श्रीनिवास को भी सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
कोल स्कैम
कोयला आवंटन घोटाला एक सरकारी राजनीतिक घोटाला था। सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं (पीएसई) और निजी कंपनियों को कोयले के आवंटन से संबधित घोटाला था। ये आवंटन बिना किसी बिंडिंग के सरकारी कर्मचारियों को बांट दिया गया था।
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