नई दिल्ली/टीम डिजिटल। संसद मॉनसून सत्र (Parliament Mosoon Session) के दौरान कृषि विधेयकों (Farm Bills 2020) को पास करने का विरोध कर रहे किसानों ने आज भारत बंद (Bharat Band) का ऐलान किया है। जिसके चलते राजधानी में पुलिस (Delhi Police) अलर्ट पर है। किसान राजधानी में दाखिल न हो सके इसके पूरे इंतजाम किए गए हैं। चिल्ला बॉर्डर के पास उन्हें रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
नोएडा में भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ दिल्ली की सीमा के पास सड़कों पर प्रदर्शन किया। वहां पर पुलिस बल तैनात है। एडिशनल डीसीपी नोएडा ने कहा कि हमने ट्रैफ़िक को डायवर्ट किया है ताकि लोगों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
वहीं दिल्ली के अन्य इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। किसानों के इस देशव्यापी आंदोलन का असर पंजाब हरियाण में ज्यादा देखने को मिल रहा है।
Delhi: Police personnel deployed in Chilla area near Delhi-Uttar Pradesh border point, in wake of the nationwide protest called by farmers today against #AgricultureBills passed in the Parliament. pic.twitter.com/wtaaN09mAU — ANI (@ANI) September 25, 2020
Delhi: Police personnel deployed in Chilla area near Delhi-Uttar Pradesh border point, in wake of the nationwide protest called by farmers today against #AgricultureBills passed in the Parliament. pic.twitter.com/wtaaN09mAU
पंजाब में रेल ट्रैक पर उतरे किसान दरअसल किसान कई दिनों से सड़क पर प्रदर्शन कर रहे है और पंजाब के किसान रेल ट्रैक पर बैठ गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह बरनाला और संगरूर में रेल पटरियों को जाम किया। रेल रोको आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने शनिवार तक 20 विशेष ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द और पांच को गंतव्य से पहले रोक दिया है। जबकी हरियाणा में किसानों-आढ़तियों ने राजमार्ग जाम करने की चेतावनी दी है। उधर, यूपी में सपा ने किसान कर्फ्यू और जाम का आह्वान किया है।
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वो बिल जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कृषि सुधारों से जुड़े तीन बिल संसद से पास कराए गए हैं। उसमें कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) बिल-2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता बिल-2020 और कृषि सेवा विधेयक-2020 शामिल हैं। किसानों को आशंका है कि संसद से पारित बिल के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने का रास्ता खुल जाएगा और उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर रहना पड़ेगा।
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