नई दिल्ली/कुलदीप। विधायक बनने की होड़ में मची मारामारी यूं ही नहीं। इसके पीछे लाखों रुपए के वेतन-भत्ते हैं। यानि एक बार विधायक बन गए तो बारे-न्यारे। वह अलग दौर था जब मामूली सी रकम खर्च कर विधायक बन जाते थे और फिर सेवा के सिवाय कुछ नहीं मिलता था। आज के विधायकों के वेतन-भत्तों पर नजर डालें तो प्रदेश में मची राजनीतिक अफरा-तफरी समझ में आती है।
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भले ही सियासत का सफर मुश्किल हो लेकिन एक बार विधायक बनने पर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसका कारण यह है कि विधायक बनते ही आपको मासिक 2.10 लाख रुपए वेतन व भत्तों सहित लाभ मिलेगा।
विधायकों के अलावा पूर्व विधायकों की मौज-मस्ती का भी पूरा प्रबंध है। साल में जहां विधायकों को यात्रा करने के लिए 2.50 लाख रुपए मिलते हैं, वहीं पूर्व विधायकों को भी सालाना 1.25 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। हिमाचल प्रदेश में बढ़े हुए यह यात्रा भत्ते 29 अप्रैल, 2017 से देने का प्रावधान है।
इसके अलावा मंत्री और मुख्यमंत्री बनने पर यह लाभ बढ़ते जाएंगे। नेता जब चाहें विधानसभा सत्र के दौरान अपने वेतन व भत्तों को बढ़ाने पर मोहर लगा सकते हैं। वेतन और भत्तों को बढ़ाने को लेकर जब विधानसभा में इससे संबंधित संशोधन लाया जाता है तो सभी राजनीतिक दलों के नेता इसका समर्थन करते दिखाई देते हैं।
यानि भले ही अन्य मुद्दों को लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद हों लेकिन जब वेतन और भत्तों को बढ़ाने की बात आती है तो वहां पर सभी एकजुट नजर आते हैं। इस दौरान नेता यह दलील देते हैं कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उनके खर्चे भी अधिक हैं। लिहाजा ऐसे में उनको वित्तीय लाभ दिया जाना जरूरी है।
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अधिकारी-कर्मचारी की तरह वेतन आयोग नहीं बना देश में जहां अधिकारी व कर्मचारियों का वेतन व भत्ते तय करने के लिए राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर वेतन आयोग बना है लेकिन नेताओं के वेतन-भत्ते तय करने का अधिकार नेताओं को ही है। यानि नेता विधानसभा में जो भी संशोधन लाएंगे, उस पर मोहर लग जाएगी। इतना ही नहीं कर्मचारियों की पेंशन अब बंद हो गई है लेकिन किसी नेता के एक दिन विधायक रहने पर भी वह पेंशन प्राप्त करने का अधिकारी है।
यानि अधिकारी व कर्मचारियों के वित्तीय लाभ की बजाय नेताओं को मिलने वाले वित्तीय लाभ में दोहरी नीति अपनाई जाती है। हालांकि इस मुद्दे पर एक बार नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने नेताओं के वेतन व भत्ते देने के लिए आयोग गठित करने संबंधी अपना पक्ष विधानसभा में रखा था लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ पाई।
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यात्रा करने के लिए भी अलग प्रावधान विधायकों को वित्तीय वर्ष में यात्रा करने (बोर्डिंग एंड लॉजिंग फैसिलिटी) के लिए 2.50 लाख रुपए की राशि मिलेगी। विधायकों को प्रतिदिन अधिकतम यह राशि 7,500 रुपए तक देय होगी। इसी तरह पूर्व विधायकों को वित्तीय वर्ष के दौरान 1.25 लाख रुपए मिलेंगे।
साथ ही पूर्व विधायकों को भी प्रतिदिन 7,500 रुपए अधिकतम देय होंगे। विधायक व पूर्व विधायक इसके लिए रेल, वायु एवं बस के माध्यम से सफर कर सकते हैं, जिसकी एवज में उन्हें यह सुविधा मिलेगी। विधायकों को यह सुविधा देने के लिए द हिमाचल प्रदेश लेजिस्लेटिव असेंबली मेंबर (फ्री ट्रैवल फैसिलिटीज बाय रेल/एयर/बस) रूल, 2017 में इसका प्रावधान किया गया है। इसी तरह पूर्व विधायकों के लिए भी द हिमाचल प्रदेश लैजिस्लेटिव असैंबली एक्स मैंबर (फ्री ट्रेवल फैसिलिटीज बाय रेल/एयर/बस) रूल, 2017 में इसका अलग से प्रावधान किया गया है।
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