नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। संकट में घिरे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए ताकि वहां खून-खराबा और ‘बड़ी मानवीय त्रासदी’ न हो। उन्होंने तालिबान से कहा कि वह अपने इरादे बताए और देश पर उसके कब्जे के बाद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चय की स्थिति में आए लोगों को भरोसा दिलाए। तालिबान के लड़ाकों ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। सरकार ने घुटने टेक दिए और राष्ट्रपति गनी देशी और विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर चले गए।
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रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर जाने के बाद गनी ने पहली बार टिप्पणी की है। इसमें उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पास दो रास्ते थे, पहला तो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे ‘सशस्त्र तालिबान’ का सामना करूं या अपने प्रिय देश को छोड़ दूं जिसकी रक्षा के लिए मैंने अपने जीवन के 20 साल सर्मिपत कर दिए।’’ गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘यदि असंख्य देशवासी शहीद हो जाएं, अगर वे तबाही का मंजर देखते और काबुल का विनाश देखते तो 60 लाख की आबादी वाले इस शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो सकती थी। तालिबान मे मुझे हटाने के लिए यह सब किया है और वे पूरे काबुल पर और काबुल की जनता पर हमला करने आए हैं। रक्तपात होने से रोकने के लिए मुझे बाहर निकलना ठीक लगा।’’
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खबरों के मुताबिक 72 वर्षीय गनी ने पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में शरण ली है। उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान तलवार और बंदूकों की जंग जीत गया है और अब देशवासियों के सम्मान, धन-दौलत और स्वाभिमान की रक्षा की जिम्मेदारी उन पर है।’’ गनी ने कहा कि तालिबान चरमपंथियों के सामने बड़ी परीक्षा अफगानिस्तान के नाम और इज्जत को बचाने की या दूसरी जगहों और नेटवर्कों को प्राथमिकता देने की है। उन्होंने कहा कि डर और भविष्य को लेकर आशंकाओं से भरे लोगों के दिल जीतने के लिहाज से तालिबान के लिए जरूरी है कि सभी देशों, विभिन्न क्षेत्रों, अफगानिस्तान की बहनों और महिलाओं सभी को भरोसा दिलाए। उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में स्पष्ट योजना बनाएं और जनता के साथ साझा करें।’’
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शिक्षाविद गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति हैं। उन्हें सबसे पहले 20 सितंबर, 2014 को निर्वाचित किया गया था और 28 सितंबर, 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में वह पुन: निर्वाचित हुए। वह लंबी प्रक्रिया के बाद फरवरी 2020 में भी विजयी घोषित किए गए थे और पिछले नौ मार्च को पुन: राष्ट्रपति बने। वह देश के वित्त मंत्री और काबुल यूनिर्विसटी के चांसलर भी रह चुके हैं। तालिबान ने रविवार को काबुल के बाहरी क्षेत्र में आखिरी बड़े शहर जलालाबाद पर कब्जा कर लिया था और इस तरह अफगानिस्तान की राजधानी देश के पूर्वी हिस्से से कट गई। मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद पर रातोंरात कब्जा करने के बाद तालिबान के चरमपंथियों ने काबुल की ओर बढऩा शुरू कर दिया।
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