नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जुलाई 2022 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात के भारतीय रुपये में निपटान की अनुमति दी थी। यह यूक्रेन और रूस युद्ध के कारण रूस को भुगतान के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में एक रणनीतिक निर्णय था। साथ ही भारतीय निर्यात को बढ़ावा देकर भारतीय रुपये को मजबूत करने का समर्थन करना था। यह बातें स्वदेशी जागरण मंच(एसजेएम)की एक बैठक में सामने आई।
स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने सरकार से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में भारतीय रुपये के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कहा है। एसजेएम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मुद्रा के रूप में रुपये का इस्तेमाल बढऩे से भारतीय अर्थव्यवस्था को डॉलर के मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद मिलेगी।
एसजेएम के सह- संयोजक अश्विनी महाजन ने सोमवार को कहा कि पुणे में हुई दो दिवसीय बैठक में एसजेएम की राष्ट्रीय परिषद ने सिफारिशें की हैं। संघ समर्थित एसजेएम ने सरकार से एक 'मजबूत रुपया आधारित बांड बाजार विकसित करने पर विचार करने का आग्रह भी किया है। ताकि व्यवसायों को कई तरह के निवेश के विकल्प भी इससे मिलेंगे और उनके लिए पूंजी जुटाना आसान हो सकेगा।
महाजन ने कहा कि एसजेएम की राष्ट्रीय परिषद ने अपनी बैठक में रिजर्व बैंक के फैसले को 'ऐतिहासिक कदम बताया और सरकार से 'इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले साल जुलाई में भारतीय रुपये में वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात की अनुमति दी थी।
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