नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पंजाब में आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने किसानों की कई मांगों को मान लिया है, जिसके बाद राज्य के किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बुधवार को अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। इससे पहले 20 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ लंबी बैठक की। मान ने किसानों की प्रमुख मांगों को स्वीकार करते हुए धान की 14 और 17 जून को अलग-अलग बुआई के नये कार्यक्रम की घोषणा की। इस तरह बुआई के लिए क्षेत्रों की संख्या पहले के चार के मुकाबले केवल दो तक सीमित कर दी गयी है।
हालांकि सीमा पर बाड़ के पास वाले क्षेत्र को क्षेत्रीय पाबंदियों से अलग रखा गया है और इस क्षेत्र के किसानों को 10 जून से धान बोने की अनुमति दी गयी है।गौरतलब है कि इससे पहले पूरे राज्य को चार क्षेत्रों में बांटकर धान की बुआई अलग-अलग करने का फैसला किया गया था। इसके लिए 18, 22, 24 और 26 जून की तारीख तय की गयी थी, लेकिन किसान संगठनों ने इस कार्यक्रम को खारिज कर दिया था।
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एक आधिकारिक बयान के अनुसार मान ने किसान नेताओं से यह भी कहा कि राज्य सरकार ने मूंग की समस्त फसल 7,275 रुपये प्रति किं्वटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार मक्का को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रही है, ताकि उसके फसल विविधीकरण के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को बल मिले।बासमती की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर मान ने कहा कि वह बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे और अनुरोध करेंगे कि केंद्र सरकार बासमती पर एमएसपी की घोषणा करे ताकि बड़े स्तर पर इसके उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके।
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उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों से कहा कि वह भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति के नियमों में बदलाव के विवादास्पद मुद्दे को भी शाह के साथ उठाएंगे।बाद में पंजाब के ग्रामीण विकास मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि मान किसानों को गेहूं पर बोनस देने के विषय को भी शाह के साथ उठाएंगे। मान ने किसान नेताओं से आग्रह किया कि कृषि क्षेत्र में किसान हितैषी सुधार लाने के लिए उन्हें कम से कम एक साल का समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका कार्यालय और आवास हमेशा किसानों के कल्याण से जुड़े मुद्दे के समाधान को तैयार हैं। मान ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोडऩे की अपील की और कहा कि अगर उन्हें सरकार से कोई शिकायत है तो सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए उन्हें बात करनी चाहिए।
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मुख्यमंत्री मान ने मंगलवार को किसानों के प्रदर्शन को ‘अवांछित और अनपेक्षित’ करार दिया था। किसान संघों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाये गये एक अन्य मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मान ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही किसानों को पंचायत की भूमि पर नियंत्रण देने के लिए स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिहाज से एक समग्र नीति लाएगी। उन्होंने धालीवाल से जल्द से जल्द इस मुद्दे के समाधान के लिए किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाने को कहा। बाद में धालीवाल ने आंदोलनकारी किसानों के साथ सरकार की बैठक का ब्योरा मोहाली में प्रदर्शन स्थल पर साझा किया और कहा कि बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई।
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उन्होंने किसानों से कहा कि उन्हें गन्ने का बकाया दिया जाएगा और चिप आधारित स्मार्ट बिजली मीटर नहीं लगाये जाएंगे। धालीवाल ने यह भी कहा कि किसानों के खिलाफ बकाया कर्ज को लेकर कोई गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किये जाएंगे। बाद में भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा की। राज्य सरकार ने तीन घंटे तक चली बैठक के बाद मान और डल्लेवाल की गले मिलने की तस्वीर भी जारी की। प्रदर्शन स्थल पर किसानों के साथ अनेक अस्थायी शिक्षक भी शामिल हुए। उन्होंने अपनी सेवाएं नियमित करने की मांग की।
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गौरतलब है कि मोहाली पुलिस द्वारा मंगलवार को चंडीगढ़ जाने से रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे। उन्होंने मोहाली के वाईपीएस चौक के पास सड़क पर अपने वाहन खड़े कर दिए। किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली राजमार्ग पर रात बिताई। प्रदर्शनकारी किसान पूरी तैयारी के साथ वहां पहुंचे थे। पंजाब के विभिन्न किसान संगठनों से संबंधित किसान गेहूं की पैदावार कम होने पर 500 रुपये प्रति किं्वटल बोनस और 10 जून से पूरे पंजाब में धान की बुआई शुरू करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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